Narak Chaturdash 2021: धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है। शास्त्रों में नरक चतुर्दशी की कथाओं का वर्णन किया गया । इसमें से एक कथा भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
नरक चतुर्दशी की कथा
नरक चतुर्दशी की रात्रि में दीपदान को लेकर कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताओं का वर्णन शास्त्रों में मकया गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके कारागृह से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराकर उनको सम्मान प्रदान किया था। इसलिए मान्यता है कि इस उपलक्ष्य में इस रात को दीपमालाओं से रोशन किया जाता है।
राजा रंति ने यमदूत से किया था प्रश्न
एक अन्य कथा के अनुसार पौराणिक काल में रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। राजा ने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब अंतिम समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को देखकर राजा अचंभित हुए और बोले मैने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो? आपका यहां आने का मतलब यह है मुझे मृत्यु पश्चात नर्क में जाना होगा। आप कृपा कर मुझे बतलाएं मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है।
ऋषियों से पूछा था पाप मुक्ति का उपाय
राजा के प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदू त ने कहा कि राजन् एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पापकर्म का फल है। राजा ने यमदू त से एक वर्ष का समय देने की याचना की। यमदूत तों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। उसके बाद राजा अपनी समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और इस पाप से मुक्ति का उनसे उपाय पूछा।
विष्णु लोक की हुई थी प्राप्ति
ऋषियों ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृ ष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमायाचना करें। राजा ने ऋषियों के द्वारा बतलाई गई बात का पालन किया और पाप मुक्त हुए। इसके बाद राजा को विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।मान्यता है कि उस दिन से पाप और नर्क से मुक्त के लिए धरती पर नरक चतुर्दशी के व्रत का प्रचलन है।
इस वर्ष नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी का प्रारंभ – 3 नंबर को प्रात: 09:02 से
नरक चतुर्दशी का का समापन – 4 नंबर को प्रात: 06:03 पर
शुभ मुहूर्त
अमृत काल– 01:55 से 03:22 तक।
ब्रह्म मुहूर्त– 05:02 से 05:50 तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 01:33 से 02:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:16 से 06:33 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:07 तक।
दिन का चौघड़िया
लाभ- प्रात: 06:38 से 08:00 तक।
अमृत- प्रात: 08:00 से 09:21 तक।
शुभ- प्रात: 10:43 से 12:04 तक।
लाभ- शाम 04:08 से 05:30 तक।
रात का चौघड़िया
शुभ- शाम 07:09 से 08:47 तक।
अमृत- 08:47 से 10:26 तक।
लाभ- 03:22 से 05:00 तक।