उज्जैन: प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री शुक्रवार को उज्जैन के दौरे पर आए। दोनों ने सुबह 11 बजे जीवाजी वेधशाला स्थित नक्षत्र वाटिका का शुभारम्भ किया।
खगोलविज्ञान का केंद्र है उज्जैन
महाकाल की नगरी उज्जैन को पृथ्वी का नाभीस्थल कहा जाता है। यह खगोलविज्ञान का बड़ा केंद्र पौराणिक काल से रहा है। इसलिए यहां पर ग्रह-नक्षत्रों के अध्ययन का विशेष महत्व रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए नक्षत्र वाटिका का शुभारम्भ शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने किया। इस अवसर पर दोनों मंत्रियों ने नक्षत्र वाटिका की शुभकामना दी और कहा कि इससे उज्जैन को विज्ञान और पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। नक्षत्र वाटिका में नौ ग्रह, 12 राशि और 27 नक्षत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले पौधे लगाए हैं।
300 साल पहले बनी थी वेधशाला
खगोलशास्त्र में उज्जैन के महत्व को देखते हुए जयपुर नरेश महाराज जयसिंह ने 300 साल पहले वेधशाला का निर्माण करवाया था। डोंगला की वेधशाला को भी काफी उन्नत श्रेणी की माना जाता है। इसा तरह उज्जैन को मंगल ग्रह की जन्मभूमि माना जाता है। उज्जैन को ज्योतिष का भी बड़ा केंद्र माना जाता है। इस तरह से उज्जैन शहर का धार्मिक, पौराणिक और ज्योतिष की दृष्टि से काफी महत्व है।