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कमलनाथ के ‘खास’ सलूजा ने थामा शिवराज का हाथ

मध्य प्रदेश में आज कांग्रेस  सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का तीसरा दिन है. इसी बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के खास और प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी नरेंद्र सलूजा ने पार्टी का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस में सलूजा को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस अवसर पर वन मंत्री विजय शाह और प्रदेश भाजपा के मीडिया विभाग के प्रभारी लोकेंद्र पाराशर मौजूद रहे. सलूजा का कोई जनाधार या पार्टी में कोई समर्थक गुट नहीं था, लेकिन वो कमल नाथ के बेहद करीबी हैं और पार्टी में लंबे समय तक मीडिया कोऑर्डिनेटर रहे हैं.

सलूजा ने कमलनाथ पर गंभीर आरोप लगाए। हालांकि, सलूजा के बीजेपी में शामिल होने की स्क्रिप्ट 8 नवंबर को ही लिखी जा चुकी थी। इंदौर में हुए कार्यक्रम के बाद बीजेपी नेताओं की टीम सक्रिय हो गई थी। इधर, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सलूजा को 13 नवंबर को ही छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था।

भोपाल में सीएम हाउस में पहुंचकर सलूजा ने बीजेपी जॉइन की। सीएम चौहान के अलावा वन मंत्री विजय शाह और लोकेंद्र पाराशर भी मौजूद थे। सूत्र बताते हैं कि 3 दिन पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की भी सलूजा को लेकर बातचीत हो चुकी थी। उधर, जॉइनिंग के साथ ही सलूजा ने अपनी ट्विटर फोटो भी चेंज कर ली।

कमलनाथ जी जब मध्यप्रदेश में 1 मई 2018 को आए थे तो उन्होंने सबसे पहला पत्र देते हुए मुझे अपना मीडिया कॉ-ऑर्डिनेटर बनाया था। उनके साथ 5 साल से काम कर रहा था। मीडिया का उपाध्यक्ष भी रहा। लगातार उनसे जुड़कर काम कर रहा था। जबसे मैं उनसे जुड़ा हूं, कई लोगों ने कहा था कि 1984 के दंगों में उनका (कमलनाथ) नाम है। मुझे लगता था कि राजनीतिक विद्वेषता के कारण कुछ लोग ऐसा कहते हैं। इस बीच 8 नवंबर को मैं उनके साथ गुरुनानक जी के प्रकाश पर्व पर इंदौर के खालसा स्टेडियम में गया। वहां पर उन्होंने मत्था टेका।

इसी बीच देश के प्रसिद्ध कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी, जिन पर सिखों की आस्था है और वे सबके प्रिय भी हैं, ने जो शब्द कहे, वे आज तक मेरे कानों में गूंज रहे हैं। जिन्हें सुन मैं दो-तीन दिन से सो नहीं पाया। उन्होंने कहा था कि यहां एक ऐसे नेता का सम्मान हो रहा है, जिसने 1984 के दंगों में टायर डालकर लोगों को जिस भीड़ ने जलाया, उसका नेतृत्व किया। कानपुरी ने कीर्तन करने से मना कर दिया था और इंदौर में कदम नहीं रखने की बात कही थी। उनके वे शब्द थे, जिसने मेरी आत्मा को झकझौर दिया।

8 नवंबर से मैंने कमलनाथ जी से मुलाकात और बात नहीं की। न ही कांग्रेस के लिए काम किया। किसी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुआ। हर साल उनके जन्मदिन पर तलवार भेंट करता था। इस बार मैंने बधाई भी नहीं दी। मैं उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकता। इसलिए ऐसे पद, व्यक्ति और पार्टी को ठोकर मार दी। मेरे लिए पहले धर्म-समाज है। इसलिए मैं बीजेपी, शिवराज-वीडी शर्मा से जुड़ा हूं’।

विवाद, इस्तीफा और अब नई पार्टी में
इंदौर में बीते दिनों प्रकाश पर्व पर हुए विवाद को लेकर कांग्रेस खेमे की तरफ से सलूजा पर साजिश रचने के आरोप लगाए जा रहे थे। सूत्रों की माने तो उसके बाद से कमलनाथ ने सलूजा को पीसीसी आने से मना कर दिया था। इसके पहले जब मध्यप्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की टीम बनाई गई थी और केके मिश्रा को अध्यक्ष बनाया गया था, तब भी सलूजा ने अपने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, बाद में कमलनाथ से बातचीत के बाद वे वापस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष का काम संभाल रहे थे।

13 नवंबर को ही निष्कासित कर दिया था…
नरेंद्र सलूजा के कांग्रेस छोड़ बीजेपी जॉइन करने के बाद कांग्रेस के मीडिया विभाग ने बयान जारी किया। कांग्रेस ने कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सलूजा को 13 नवंबर 2022 को ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। सलूजा लगातार दूसरी पार्टी के संपर्क में थे और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। उनकी इन गतिविधियों की सूचना प्राप्त होने के बाद उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। पार्टी में प्रतिबद्ध और अनुशासित कार्यकर्ताओं का पूरा सम्मान है, लेकिन अनुशासनहीनता और गद्दारी करने वाले व्यक्तियों के लिए कांग्रेस पार्टी में कोई जगह नहीं है। पार्टी से निकाले गए गद्दार वहां जा सकते हैं? जहां जाने के बाद सार्वजनिक मंच से उन्हें विभीषण कहा जाता है।

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