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Indore होना आसान नहीं | अखिर क्यों है इंदौर स्वच्छता में नंबर 1 ? सफाई पर कितना पैसा होता है खर्च और कहां से आता है ?

It is not easy to be Indore. After all why is Indore number 1 in cleanliness

मिलिंद बायवार/ Indore की स्वच्छता के रिकॉर्ड को लेकर लंबे समय से देश और दुनिया भौंचक है। इंदौर सातवीं बार स्वच्छता में टॉप आने के दावे कर रहा है, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इस बार #Indore के लिए यह उपलब्धि हासिल करने की राह आसान नहीं है। फिर भी लगातार छह बार स्वच्छता में नंबर वन रहने वाले इंदौर ने जो जतन किए हैं वे किसी भी शहर के लिए आसान नहीं हैं।

clean roads of indore

यही वजह है कि दुनियाभर के प्रतिनिधि स्वच्छता का पाठ पढ़ने इंदौर आते हैं। खास से लेकर आम तक सभी लोग इंदौर की स्वच्छता का राज जानना चाहते हैं। दरअसल यह राज एक बहुत बड़ा समन्वय है। इच्छाशक्ति, जागरूकता, सहयोग, तकनीक, संसाधन, प्रबंधन, मेहनत और सतत प्रयासों का समन्वय। इस आलेख में हम जानेंगे कि 530 वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्रफल और 35 लाख से ज्यादा आबादी वाले इंदौर को हर समय स्वच्छ रखने के लिए नगर निगम आखिर क्या-क्या करता है।

Indore में सफाई के लिए उठाए ये बड़े कदम

इंदौर नगर निगम ने शहर की सफाई व्यवस्था प्राइवेट कंपनियों के हाथों में नहीं सौंपी और खुद ही इसका प्रबंधन किया। प्रबंधन भी ऐसा कि निजी कंपनियों से बेहतर।
-नगर निगम समय-समय पर सफाई कर्मचारियों को प्रोत्साहित करता रहता है।
-नगर निगम सफाई व्यवस्था में पांच एनजीओ की मदद लेता है। ये एनजीओ लोगों में जागरूकता लाने का काम करते हैं।
-बेहतर काम करने वाले सफाई मित्रों को पुरस्कृत किया जाता है।

कितना कचरा निकलता है Indore से ?

Indore में रोजाना 900 से लेकर 1000 टन कचरा निकलता है। यानी साल में करीब 328500 टन। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
-शहर में 500 से 640 टन घरेलू कचरा रोज निकलता है।
-शहर के बाजारों से रोज निकलता है 100 से 150 टन कचरा।
-शहर में स्थापित उद्योगों से रोजाना 35 से 45 टन कचरा निकलता है।
-शहर की फल और सब्जी मंडियों में रोज 80 से 105 टन कचरा होता है।
-सड़कों और गंदी बस्तियों से रोजाना 170 से 200 टन कचरा निकलता है।

Indore शहर की सफाई का रोज का खर्च 4 लाख रुपए:

नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक इंदौर शहर की सफाई का रोज का खर्च 4 लाख रुपए है। यानी माह का खर्च एक करोड़ 20 लाख रुपए। सालाना खर्च 14 करोड़ 40 लाख रुपए। खास बात यह है कि इस खर्च नगर निगम कचरा शुल्क और कचरे के अन्य इस्तेमाल से ही पूर्ण कर लेता है।

Indore 2022 में कचरे से ही 14 करोड़ की कमाई:

साल 2022 में इंदौर ने कचरे 14 करोड़ रुपए की कमाई की है। इंदौर में शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने का एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र लगाया गया है।

Indore में किससे कितना लिया जाता है कचरा शुल्क:

  • शहर में कई तरह के सार्वजनिक आयोजन होते हैं। राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक आयोजनों के दौरान हजारों लोग एकत्रित होते हैं। ऐसे में नगर निगम आयोजकों से प्रति व्यक्ति 50 पैसे शुल्क लेता है।
    -बिल्डिंग मटेरियल के मलबे को उठाने के लिए प्रति डंपर 1000 रुपए शुल्क लिया जाता है।
    -घरों से 60 रुपए महीना शुल्क।
    -ढाबों व रेस्टॉरेंट से 300 रुपए माह।
    -किराना, कपड़े व सब्जी दुकानों से 200 रुपए माह।
    -स्कूल व कॉलेजों से 1000 रुपए माह।
    -औद्योगिक कंपनियों से 500 से 5000 रुपए महीना तक।
    -होटलों से 1000 से 5000 रुपए महीना शुल्क।
  • मैरिज गार्डन व फाइव स्टार होटलों से 5000 रुपए महीना।
    -अस्पतालों से प्रति बैड 2 रुपए प्रतिदिन शुल्क।
    -व्यावसायिक संस्थानों से 450 से 22500 रुपए प्रति माह तक शुल्क।

इतने कर्मचारी करते हैं काम

Indore नगर निगम में 85 वार्डों में 6794 कर्मचारी हैं।
1643 स्थायी कर्मचारी।
2274 अस्थायी कर्मचारी।
2877 अतिरिक्त अस्थायी कर्मचारी।

Indore ने कब क्या किया ?

साल 2017: डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन
साल 2018: खुले में शौच मुक्त शहर
साल 2019: जीरो वेस्ट ट्रेंचिंग ग्राउंड
साल 2020: कचरे से कच्चा माल बनाना
साल 2021 : ग्रीन स्लम बस्तियां विकसित कीं
साल 2022 : ट्रेंचिंग ग्राउंड में 500 टन क्षमता का बायो सीएनजी प्लांट लगाया

कचरा उठाने के लिए संसाधन

-494 छोटी गाड़ियां हैं नगर निगम के पास घर-घर से कचरा उठाने के लिए
-16 कचरा कॉम्पेक्टर
-20 लार्ज हॉलिंग
-24 जेसीबी मशीन
-50 डंपर
-1000 साइकिल रिक्शा
-6 रोड स्वीपिंग
-425 हाथ ठेले

शहर में हैं ये सुविधाएं भी

-12549 एकल शौचालय
-374 सार्वजनिक शौचालय
-400 मॉड्यूलर टॉयलेट
-150 आदर्श यूरिनल
-14 जैविक कचरा निष्पादन केंद्र
-07 ट्रांसफर स्टेशन

Indore की स्वच्छता में उपलब्धियां

-इंदौर देश का पहला कचरा मुक्त शहर है।
-इंदौर के 27 बाजार पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त हैं।
-देश का पहला शहर जिसे वाटर प्लस का खिताब मिला।
-वेस्ट टू वंडर पार्क से रिड्यूज रिसाइकल और रीयूज को बढ़ावा।
-शहर में जीरो वेस्ट वार्ड बनाए गए। इससे कचरा वार्ड में ही खत्म हुआ।
-शहर अब डस्टबिन फ्री होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

गंदे पानी का संयंत्रों में उपचार

शहर में निकलने वाले गंदे पानी का विशेष संयंत्रों में उपचार किया जाता है और इसका 200 सार्वजनिक बगीचों के साथ ही खेतों और निर्माण गतिविधियों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है।

यह है सेवन स्टार रेटिंग का मतलब

इंदौर को 2022 में सेवन स्टार रेटिंग भी दी गई है। दरअसल सेवन स्टार रेटिंग वाले शहर का मतलब होता है कि शहर 100 फीसदी स्वच्छ है। भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल 2018 में शुरू किया गया था।

इस बार किस तरह हो रहा है स्वच्छता सर्वे

अभी देशभर में स्वच्छता सर्वे 2023 जारी है। इसके लिए 7500 नंबर तय किए गए हैं। पिछले साल ये नंबर 6000 थे। इस बार कई नए मानक जोड़े गए हैं। साथ ही सर्वे टीम लोगों से कुछ सवाल कर राय लेगी। वहीं डिजिटल सर्वे पहले ही प्रारंभ हो गया है। इस बार जनता की राय को तीन श्रणियों में विभाजित किया गया है।

पहली श्रेणी में 15 से 29 के लोग शामिल हैं। वगीं 30 से 59 साल के लोग दूसरी श्रेणी में हैं। 60 और इससे ज्यादा उम्र के लोग यानी वरिष्ठ नागरिक तीसरी श्रेणी में हैं। इन सभी की राय लेकर नंबर दिए जाएंगे। पहली श्रेणी के लिए 100 नंबर, दूसरी के लिए 100 अंक और तीसरी के लिए सबसे 400 नंबर तय किए गए हैं। हर श्रेणी के लिए स्वच्छता से संबंधित अलग-अलग सवाल हैं।

आसान नहीं 7वें आसमान पर बैठना

इंदौर भले ही सफाई में छह बार पहले नंबर पर रहा है, लेकिन 7वीं बार ऐसा होगा या नहीं यह सबसे बड़ा सवाल है। इसका कारण है कि इस बार इंदौर को सूरत, नवी मुंबई और विशाखापट्टनम से चुनौती मिल रही है। ज्ञात हो कि पिछले साल सूरत स्वच्छता में इंदौर के बाद दूसरे नंबर पर था। इस बार सूरत ने अच्छी तैयारी की है।

इस बार इंदौर को क्या करना होगा

-स्वच्छता को लेकर इंदौर से अब भी उम्मदें हैं, लेकिन उसके लिए शहर को खास प्रयास करने होंगे। इसमें प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने डिस्पोजल को लेकर कदम उठाना जारूरी है। देखने में आ रहा है कि शहर में अभी भी प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने डिस्पोजल पर पूरी तरह से पाबंदी का पालन नहीं किया जा रहा है।
-इंदौर को हवा को साफ रखने को लेकर भी काम करने की जरूरत है। चूंकि शहर मेट्रो से लेकर और भी कई विकास कार्य हो रहे हैं। इससे हवा में प्रदूषण फैल रहा है। साथ ही शहर में पुराने वाहनों का संचालन जारी है। इससे वायु गुणवत्ता का स्तर बिगड़ रहा है।

  • अभी शहर में प्रति व्यक्ति कचरा भी बहुत ज्यादा है। इसे कम करने की जरूरत है। अभी शहर में प्रति व्यक्ति रोजाना कचरा 402 ग्राम निकल रहा है।

अभी सफाई में दिख रही ये खामियां

-शहर में अभी बेकलेन से कचरा ठीक से नहीं उठ पा रहा है।
-ट्रैंचिंग ग्राउंड पर फिर कचरा दिखने लगा है।
-कचरा लेने के लिए वाहन देरी से पहुंच रहे हैं, जिससे बाहर कचरा फेंकने की प्रवृत्ति फिर शहरवासियों में बढ़ गई है।

सातवीं बार भी इंदौर होगा नंबर वन

इंदौर के महापौर पुष्य मित्र भार्गव का कहना है कि इंदौर सातवीं बार भी स्वच्छता में नंबर वन रहेगा। इसके लिए हम कई प्रयास कर रहे हैं। अभियान भी चलाए जा रहे हैं। जनता का सहयोग भी लिया जा रहा है।

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