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मां आशापुरी की रथ यात्रा में पुरुष बनते हैं स्त्री

पड़ाना। मंगलवार देर रात मध्य प्रदेश के पड़ाना में मां आशापुरी के भव्य रथ यात्रा का आयोजन नगर वासियों द्वारा किया गया। पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बाद देश में यह केवल दूसरा आयोजन है जिसमें मां आशापुरी की रथ यात्रा का आयोजन देर रात में किया जाता है।

इस रथ यात्रा के आयोजन में पड़ाना के पुरुष माता के वेश में रथ पर सवार होकर नगर के मंदिर से होते हुए मां आशापुरी की झांकी के पंडाल तक आते हैं। मां के रथ के आगे काला भैरव और गोरा भैरव दौड़ते हैं। आस्था के इस समागम में आसपास के क्षेत्र के हजारों लोग मां आशापुरी का आशीर्वाद लेने और उनकी एक झलक पाने के लिए पूरी रात इंतजार करते हैं।

पड़ाना के पास जंगल में मां आशापुरी का अति प्राचीन मंदिर है, जिसका जीर्णोद्धार जन सहयोग से ही धीरे-धीरे हो रहा है परंतु नवमी के दिन जिला कलेक्टर हर्ष दीक्षित और पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी ने मंदिर का निरीक्षण कर जल्द से जल्द वहां जीर्णोद्धार करवाने का आश्वासन दिया है। प्रतिवर्ष निकलने वाले इस रथयात्रा के पहले नगर में नवमी की शाम को एक प्रमुख बाड़ी का आयोजन नगर वासियों द्वारा किया जाता है जिसमें गेहूं के पौधे जो नवरात्रि की शुरुआत में माता के मंदिर में बोए जाते हैं उन्हें नगर में घुमाते हुए विसर्जित किया जाता है। जिससे आने वाली गेहूं की फसल के लिए शुभ माना जाता है।

रथ यात्रा के पहले नगर वासियों के द्वारा रथ के मार्ग में बड़ी-बड़ी रंगोलियां बनाई जाती है और रात भर चलने वाले इस कार्यक्रम में बाहर से आए हुए कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। रात्रि करीब 3:00 बजे माता रथ पर सवार होकर निकलती है। रथ यात्रा का समापन झांकी में विराजमान सभी माताओं की महा आरती से होता है।

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