झाबुआ। खेती किसानी देश की अर्थव्यवस्था का मूलभुत आधार हैं। विकसीत सम्पन्न और समृद्ध समाज के लिए खेती किसानी का सुदृढ होना अपरिहार्य रूप से आवश्यक हैं। देश की आधे से ज्यादा आबादी की आजिवीका कृषिगत उद्यमों पर ही निर्भर है।
देश के आम जन की सामाजीक और आर्थीक उन्नती के लिए खेती किसानी के क्षेत्र में लगातार विकास और वृद्धि होना आज के समय की महत्ती आवश्यकता हैं नागरीकों की आजिवीका को उत्तरोत्तर बेहतर बनाए रखने के लिए कृषिगत क्षेत्र ने लगातार उत्पादन वृद्धि के सतत् प्रयास किये जाना आवश्यक है। खेती किसानी के क्षेत्र में नित नई चुनौतियों के मद्देनजर उन्नत कृषिगत तकनीक के प्रयोग के साथ-साथ आधुनिक संसाधनो और आदानो की निरंतर आपूर्ती और उनके समुचित उपयोग पर बल दिया जा रहा है। देष के आम किसानो तक नवीन कृषिगत तकनीक और आदानो की सुलभता सुनिष्चित करने में कृषि आदान विक्रतोओं की जीवंत भूमिका है। विगत दषको के दौरान देष के कृषि क्षेत्र में हुए विकास में कृषि आदान व्यावसायों का भरपूर योगदान रहा है। बदलते हुए परिवेश और नित् नये वैज्ञानीक अनुसंधानो के मद्देनजर कृषि व्ययसाय से जुडे व्यक्तियों का तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ शासन के नियमो अधिनियमो की व्यावहारीक समग्र समझ नितांत आवष्यक है। उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए राज्य स्तरीय कृषि विस्तार एवं प्रषिक्षण संस्थान के संचालक के. पी. अहरवाल नें कृषि आदान विक्रेताओ के डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अभ्यर्थीयों को सम्बोधित किया।
जिले में कृषि आदान विक्रेताआें के लिये कृषि विभाग द्वारा भारत सरकार के राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रषिक्षण संस्थान हैदराबाद के माध्यम से संचालित “Diploma in Agriculture Extension Services for Input Dealer एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में विगत दिवस आयोजित दो बेचेस के संचालित पाठ्यक्रम के मुल्याकंन और अनुश्रवण के लिए राज्य स्तरीय संस्थान के संचालक अपने आकस्मीक भ्रमण पर झाबुआ उपस्थित हुए।
संचालक के. पी. अहरवाल द्वारा देसी डिप्लोमा कोर्स के जिले के विभिन्न विकासखण्डो के कृषि व्यवसायीयों से पाठ्यक्रम सम्बधित विस्तृत चर्चा की। अहरवाल द्वारा जिले के कृषि व्यावसायीयां को उर्वरक, कीटनाषक औषधी और बीज गुण नियंत्रण के लिए प्रावधानीत नियमों, अधिनियामों और आदेषो के अनुपालन के लिए प्रेरित करते हुए व्यावहारीक पहलुओं की विस्तृत व्याख्या करते हुए कृषि सम्बधी विभिन्न तकनीकी विषयों के वैज्ञानीक आयामां पर व्याख्यान दिया। अहरवाल द्वारा कृषि आदान विक्रेताओं से आव्हान किया कि उनके प्रतिष्ठान पर आने वाले किसान बन्धुओ को कृषि आदान विक्रय के साथ-साथ उनके उपयोग की विधि और कृषि की नवीन तकनीक की समझाईश दी जानी चाहीए। कृषि आदानो के उपयोग के सन्दर्भ में पर्यावरण संरक्षण का विषेश ध्यान रखने की भी अपील की गई। डिप्लोमा पाठ्यक्रम में जिले के सत्तर वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ व्यावसायी छगनलाल प्रजापती, राजेन्द्र व्होरा के साथ-साथ युवा प्रतिभागी भी नियमीत रूप से कक्षा में उपस्थित होकर वैज्ञानीक कृषि सम्बधी ज्ञानार्जन कर रहे है। वर्तमान में संचालीत दो बेचेस में सत्तर से अधिक प्रतिभागी पाठ्यक्रम से संयोजीत है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानीक डॉ. आर.के. त्रिपाठी तथा रिसोर्स पर्सन गोपाल मुलेवा द्वारा भी पाठ्यक्रम सम्बधी तकनीकी सत्रों के दौरान अपने व्याख्यानों से अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया।
कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जिले के उप संचालक कृषि एन.एस. रावत, परियोजना संचालक आत्मा जी.एस. त्रिवेदी, एम.एस. धार्वे, मेनुएल भाबोर, समय यादव, प्रषांत बुन्देला, राकेश हटिला, संजय मण्डोड उपस्थित रहे। संचालक भोपाल का स्वागत डिप्लोमा कोर्स के अभ्यर्थीयों के प्रतिनिधि के रूप में संदीप मेरतवाल, हौजेफा बुरहान अली, अंषुल भण्डारी, अनुपम भण्डारी तथा मंयक जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम की सूत्र धारिता उप परियोजना संचालक आत्मा एवं कोर्स कोर्डिनेटर एम.एस.धार्वे द्वारा की गई।
अर्चित अरविन्द डांगी रतलाम मध्यप्रदेश