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ये कैसे भाग्य विधाता? : 5 दिन में केवल 97 मिनट चली संसद, देश के 50 करोड़ रुपए हो गए बर्बाद

सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव के कारण कामकाज नहीं होने से देश और देशवासियों का नुकसान हो रहा है। हर मिनट लाखों रुपए पानी में जा रहे हैं। जिन सांसदों को जनता ने चुनकर भेजा था, वे अपनी जिम्मेदारी निभाने से ज्यादा सियासत में उलझे हुए हैं।

नई दिल्ली। अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और लंदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वक्तव्यों को लेकर शुक्रवार को भी संसद नहीं चल सकी। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अब सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। वहीं भाजपा राहुल गांधी से माफी मांगने पर जोर दे रही है। दरअसल बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू हुआ है, लेकिन विपक्ष के साथ ही सत्तापक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक दिन भी पूरी नहीं हो पाई है।
लोकसभा टीवी के डेटा के मुताबिक 13 मार्च से 17 मार्च तक पांच दिन में लोकसभा की कार्यवाही केवल 42 मिनट ही चल पाई है। वहीं इसी अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही 55 मिनट चल पाई है। यानी दोनों सदनों में पांच दिन में केवल 97 मिनट ही कामकाज हो पाया।

कब और कितने समय चली लोकसभा
तारीख समय
13 मार्च 9 मिनट
14 मार्च 4 मिनट
15 मार्च 4 मिनट
16 मार्च 3.30 मिनट
17 मार्च 22 मिनट

कब और कितने समय चली राज्यसभा
तारीख समय
13 मार्च 21 मिनट
14 मार्च 11 मिनट
15 मार्च 16 मिनट
16 मार्च 4 मिनट
17 मार्च 14 मिनट

एक मिनट का खर्च होता है 2.5 लाख रुपए
2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में संसद की कार्यवाही का हर मिनट का खर्च 2.5 लाख रुपए है। एक घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपए है। देश में संसद की कार्यवाही रोज 7 घंटे चलाने की परंपरा है। यानी रोजाना संसद चलाने का खर्च 10 करोड़ रुपए से ज्यादा होता है। इस हिसाब से देखें तो 13 मार्च से 17 मार्च तक 50 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुआ, लेकिन कामकाज नहीं होने की वजह से देश की यह राशि बर्बाद हो गई। यह गणना 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक मोटे तौर पर की गई है। जाहिर है पांच-छह साल में यह आंकड़ा भी बढ़ ही चुका होगा।

हर मिनट वेतन-भत्ते व सचिवालय का खर्च1.60 लाख रुपए
संसद की कार्यवाही में सांसदों के वेतन-भत्ते, सुविधाएं, सचिवालय के कर्मचारियों के वेतन और संसद सचिवालय पर खर्च की राशि सबसे ज्यादा होती है। रिपोर्ट के अनुसार इन मदों में हर मिनट 1.60 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं।

आखिर क्या है संसद का काम?
संसद का मुख्य कार्य कानून बनाना है। यानी विधेयक पर चर्चा और उन्हें पास करना है। संसद कार्यपालिका को नियंत्रण करने का काम भी करती है।

35 विधेयक अधर में लटके
पूर्व नियोजित कार्यक्रम के मुताबिक संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से 6 अप्रैल तक चलाना तय किया गया है। हंगामे की वजह से 35 विधेयक पेंडिंग हो गए हैं। इनमें से 26 विधेयक राज्यसभा में और 9 विधेयक लोकसभा में पेंडिंग हैं।

ये विधेयक रखे जाने हैं चर्चा के लिए
-असम विधान परिषद विधेयक 2013
-भवन और अन्य निर्माण श्रमिक संबंधित कानून विधेयक 2013
-दिल्ली किराया विधेयक 2013
-रोजगार कार्यालय संशोधन विधेयक 2013
-भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी फार्मेर्सी बिल 2005

  • अंतर-राज्यीय कामगार विधेयक
  • बीज विधेयक 2004
  • राजस्थान विधान परिषद विधेयक 2013
    -पंजीकरण विधेयक 2013
  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण विधेयक 2008
    -अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली विधेयक 2014 समेत अन्य विधेयक भी अभी पेंडिंग है।

इन पर होती है संसद चलाने की जिम्मेदारी
-राज्यसभा के सभापति
-लोकसभा के अध्यक्ष
-संसदीय कार्यमंत्री
-नेता प्रतिपक्ष

इसके पहले के सत्र भी चढ़े थे हंगामे की भेंट
-पेगासस पर एक रिपोर्ट आने के बाद दिसंबर 2022 में संसद का शीतकालीन सत्र भी हंगामे का भेट चढ़ गया था। सत्र को 7 दिन पहले ही खत्म कर दिया गया था।
-2022 में मानसून सत्र भी हंगामे भी भेंट चढ़ गया था। उस समय दोनों सदनों में 120 घंटे की जगह 26.8 घंटे ही कामकाज हुआ। तब सरकार 32 में से केवल दो बिल ही पास करा सकी।


पूरा देश आपको देख रहा है
शुक्रवार को कार्यवाही स्थगित करने से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि आप सभी सदन चलने दीजिए। संसद में आप लोग नारेबाजी मत कीजिए। पूरा देश आपको देख रहा है।

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