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हनुमान जयंती विशेष- आज भी धरती पर मौजूद हैं रामभक्त हनुमान जी

हनुमान जयंती या कहें हनुमान जन्मोत्सव यह सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान हनुमान जी का जन्म हुआ था और इस दिन भक्त भगवान हनुमान जी की धूम धाम से पूजा करते हैं और हनुमान जी से मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। हनुमान जी की पूजा से प्रेत बाधा यंत्र टोटके आदि पास नहीं आते हैं। और सभी भक्त भगवान हनुमान जी से इस दिन अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं।

भक्त हनुमान जयंती वाले दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर बहुत सी चीजें अर्पण करते हैं। जैसे कि प्रसाद फूल नारियल तिलक भभूति गंगाजल आदि। फिर मंदिर के पुजारी उस प्रसाद को और सभी चीजों को भोग लगाकर भक्तों को वापस देते हैं। भक्त और बहुत प्रकार से भजन भाव से हनुमान जी की स्तुति कर हनुमान चालीसा का बार-2 पाठ करते है। और विभिन विभिन स्रोतों का पाठ करके हनुमान जी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

और साथ-साथ राम नाम का भी जाप करते हैं। हनुमान जयंती पर लोग हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। कई लोग उपवास भी रखते हैं और बड़े उत्साह और उत्साह के साथ देवताओं की पूजा करते हैं। जैसा कि माना जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे, इन्हें जनेऊ भी पहनते हैं। हनुमानजी की मूर्तियों पर चांदी और सिंदूर चढ़ाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। एक किंवदंती है जो कहती है कि एक बार हनुमान जी ने भगवान् राम को प्रसन्न करने के लिए अपने शरीर पर सिंदूर लगाया था और यही कारण है कि भक्त और हनुमान जी सिंदूर देना पसंद करते हैं।

कौन थे हनुमान जी के गुरु ?

हिंदू ग्रंथों के मुताबिक भगवान हनुमान जी के गुरु भगवान सूर्य देव थे। हनुमान जी ने अपनी सारी विद्या भगवान सूर्य देव से प्राप्त की है। लोककथाओं के अनुसार, सूर्य देव को हनुमान जी का गुरु माना जाता है, हालांकि, वास्तविकता यह है कि ऋषि मनिंदर जी उनके सच्चे गुरु हैं, जो त्रेता युग के दौरान पहली बार हनुमान जी से मिले थे, जब वे माता सीता की तलाश में लंका से लौटे थे।

हनुमान जी की शक्तियाँ –

तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में वर्णन है कि हनुमानजी अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता है। हनुमान जी एकमात्र देव है जिन्होंने अपने एक हाथ पर पर्वत को उठाया है और वह हवा की गति से भी तेज उड़ सकते हैं। अपनी मर्जी से अपने आकार में बड़े छोटे हो सकते हैं। हनुमान जी की शक्तियों की यह झलक मात्र है। इनकी शक्तियों का वर्णन करने में कोई समर्थ नहीं है | हनुमान जी ऊर्जा के स्रोत हैं।

हनुमान जयंती उपवास विधि –

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए या मंगल ग्रह का दोष दूर करने के लिए बहुत से लोग हर मंगलवार व्रत करते हैं। इससे हनुमान जी की असीम कृपा मिलती है। हनुमान जयंती के दिन भी बहुत से लोग व्रत रखते हैं। लेकिन इस दिन व्रत रखने वालों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं हनुमान जयंती उपवास विधि के बारे में ~

हनुमान जयंती के दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें और मन में हनुमान जी के साथ प्रभु श्रीराम और माता सीता के नाम का स्मरण करें। हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और मन, कर्म त​था वचन से पवित्र रहें। घर के ईशान कोण में किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर वहां बैठ कर हनुमान चलीसा का पाठ करें। दिन में सिर्फ एक पहर का भोजन लें
शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें।

हनुमान जयंती में महिलाओं के लिए नियम –

हनुमान जयंती में जब भगवान हनुमान जी की पूजा की जाती है तब महिलाओं को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. मान्‍यता है कि चूँकि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे, वहीँ वो हमेशा स्‍त्रियों के स्‍पर्श से दूर रहते थे। इसलिए मान्‍‍‍‍‍यता के अनुसार हनुमान जयंती के दिन पूजा करते वक्‍त महिलाआं को कुछ बातों का जरुर से ध्‍यान रखना चाहिए:

– हनुमान जी को सिंदूर का लेप न लगाएं

– हनुमान जी को चोला नहीं चढ़ाना चाहिए

– हनुमान जी को जनेऊ न पहनाएं

– बजरंग बाण का पाठ न करें

– पूजा करते वक्‍त हनुमान जी की मूर्ति का स्‍पर्श न करें

– अगर आप चाहें तो हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के चरणों में दीपक प्रज्‍ज्‍वलित कर सकते हैं।

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