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Ganesh Chaturthi 2021: श्रीगणेश है प्रथम पूजनीय, जानिए क्या है इसका रहस्य

Ganesh Chaturthi 2021: सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्रों में श्रीगणेश को विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और प्रथम पूजनीय कहा गया है। समस्त देवी-देवताओं में निर्विघ्न कार्य संपन्न करने के लिए गणपति देव की सर्वप्रथम पूजा की जाती है। आइए जानते हैं आखिर क्या राज है श्रीगणेश की प्रथम पूजा का।

देवर्षि नारद ने दिया श्रीगणेश को सुझाव

सृष्टि के आरम्भ में समस्त देवताओं में इस बात पर बहस होने लगी की सर्वश्रेष्ठ कौन है और कौन प्रथमपूज्य है। इस प्रश्न को लेकर समस्त देवतागण ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने कहा कि जो कोई पृथ्वी कि परिक्रमा सबसे पहले कर लगा, उसे ही प्रथम पूजनीय माना जाएगा। ब्रह्मा जी के वचन सुनकर समस्त देवगण अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर परिक्रमा हेतु चल पड़े। गणेशजी का वाहन चूहा है और वह काफी धीमी गति से चलता है। गणेशजी की इस समस्या का समाधान किया देवर्षि नारद ने। नारदजी के सुझाव के अनुसार श्रीगणेश ने भूमि पर “राम” नाम लिखकर उसकी सात परिक्रमा की और ब्रह्माजी के पास सबसे पहले पहुंच गए। क्योंकि श्रीराम के नाम में संपूर्ण ब्रह्मांड निहित है, इसलिए ब्रह्माजी ने उन्हें प्रथमपूज्य बताया।

शिवपुराण में बताया श्रीगणेश को प्रथम पूजनीय

शिवपुराण की एक कथा के अनुसार एक बार समस्त देवता महादेव के पास यह समस्या लेकर पहुंचे कि किस देवता को उनका मुखिया चुना जाए। भोलेनाथ ने कहा कि जो भी पहले पृथ्वी की तीन बार परिक्रमा करके कैलाश लौटेगा, वहीं सर्वप्रथम पूजनीय होगा और उसको देवताओं का स्वामी बनाया जाएगा। चूंकि गणेशजी का वाहन चूहा अत्यंत धीमी गति से चलता है इसलिए श्रीगणेश पिता शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूर्ण कर हाथ जोडकर खड़े हो गए। महादेव ने प्रसन्न होकर कहा कि हे गणेश ! ब्रह्माण्ड में तुमसे ज्यादा चतुर और कोई नहीं है। माता-पिता की तीन परिक्रमा से तीनों लोकों की परिक्रमा का पुण्य तुम्हें प्राप्त हो गया है। यह पृथ्वी की परिक्रमा से भी कहीं ज्यादा है। इसलिए जो मनुष्य किसी कार्य का प्रारंभ करने से पहले तुम्हारा पूजन करेगा, उसके समस्त कार्य निर्विघ्न संपन्न होंगे। तभी से श्रीगणेश प्रथम पूजनीय हो गए।

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