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ToggleGaganyaan Mission Test Flight LIVE Updates: भारत ने स्पेश सेक्टर में नया इतिहास रचा है। आज इसरो (ISRO) ने गगनयान(Gaganyaan) मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट लांच कर दी है। गगनयान(Gaganyaan) मिशन की पहली उड़ान की टेस्टिंग सुबह 10 बजे होनी थी, लेकिन कुछ गड़बड़ी के कारण आधे घंटे बाद लांचिंग की गई। इसरो ने कहा कि गगनयान(Gaganyaan) मिशन के मानवरहित टेस्ट मॉड्यूल के लांच को रोकने के कारण का पता लगाकर ठीक कर दिया गया है।
ISRO ने गगनयान मिशन के तहत पहली उड़ान की टेस्टिंग रोक दी थी। ISRO प्रमुख ने कहा कि तकनीकी कारणों से इस प्रक्षेपण को रोकना पड़ा है। हम जल्द आपको इस मिशन को लेकर आगे की अपडेट्स देंगे। बता दें जिस समय इस प्रक्षेपण को रोका गया।
मिशन के दौरान रॉकेट में गड़बड़ी होने पर रॉकेट के अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को वापस पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की जाएगी। मिशन की पहली टेस्ट उड़ान के तहत क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस तक भेजे जाएगा। फिर वापस जमीन पर लौटाया जाएगा। उड़ान के दौरान सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, एनर्जी आदि पहलुओं की जांच की जाएगी।
पीएम मोदी ने 2018 किया था ऐलान
पीएम नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान(Gaganyaan) मिशन की घोषणा की थी। मिशन 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में पूरा होने की उम्मीद है।
मिशन की सफलता से ये हासिल होगा
गगनयान मिशन की सफलता से देश वालों को अंतरिक्ष के बारे में जानने, उसका अध्ययन करने और वहां के वातावरण को समझने का बेहतर मौका मिलेगा। गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) की सफलता के बाद चीन, अमेरिका और रूस के बाद देश भारत कारनामा करने वाला चौथा देश बनेगा।
तीन हिस्से होंगे
गगनयान(Gaganyaan) Test Vehicle Abort Mission-1 में फ्लाइट के तीन भाग होंगे। अबॉर्ट मिशन के लिए सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम बनाया गया। इसरो (ISRO) के इस मिशन को गगनयान टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 इसलिए कहा जा रहा कि क्योंकि एबॉर्ट टेस्ट का मायने है कि समस्या के समय एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल सुरक्षित नीचे ले आए।
अगले साल अनमैंड फ्लाइट
Test Vehicle Abort Mission-1 (TVD1) के बाद तीन और टेस्ट फ्लाइट D2, D3 व D4 भेजा जाएगा। 2024 की शुरुआत में ISRO पहला अनमैंड मिशन प्लान कर सकता है। इसके तहत ह्यूमेनॉयड रोबोट यानी एकदम मानव शक्ल के रोबोट व्योममित्र भेजे जाएंगे। इसकी सफलता बाद इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उम्मीद है 2025 में देश की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी।
समुद्र में लैंडिंग
मिशन के अनुसार टेस्टिंग के दौरान पहले क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले जाया जाएगा। फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई से Abort जैसी Situation पैदा होगी। फिर क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम अलग होगा। क्रू मॉड्यूल को 2 किलोमीटर दूर ले जाया जाएगा। श्रीहरिकोटा से 10 किलोमीटर दूर समुद्र में लैंड कराया जाना है।
क्रू मॉड्यूल को जानें
स्पेस फ्लाइट के उस भाग को क्रू मॉड्यूल कहा जाता है, जिसमें बैठकर Astronauts धरती के चारों ओर 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे।
एस्ट्रोनॉट्स के लिए कई सुविधाओं से लैस क्रू मॉड्यूल केबिन जैसा है। उसमें एस्ट्रोनॉट्स के लिए स्वास्थ्य सिस्टम, नेविगेशन सिस्टम, फूड हीटर और टॉयलेट आदि सुविधाएं होंगी। इसके भीतर का हिस्सा अंतरिक्ष के रेडिएशन से एस्ट्रोनॉट्स को बचाएगा। टेम्पेरेचर फ्रेंडली भी है।
मिशन का बजट
सरकार ने इस मिशन के लिए 90.23 अरब रुपए का बजट जारी किया है। तीन दिनों का यह मिशन देश का पहला Human Space Mission है।
Astronauts ले रहे स्पेशल ट्रेनिंग
इस अहम मिशन के लिए एस्ट्रोनॉट्स को बेंगलुरु की एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में खास ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें फिजिकल, क्लास रूम, फिटनेस, सिम्युलेटर व फ्लाइट सूट की ट्रेनिंग दी जा रही है।