अहमदाबाद। अहमदाबाद में 1 जुलाई को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे। रथयात्रा के मार्ग पर 25,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे, जबकि चप्पे-चप्पे पर ड्रोन कैमरों से नजर रखी जाएगी। दो साल के अंतराल के बाद यह यात्रा हो रही है इसलिए लाखों की तादात में लोगों के शामिल होने की संभावना है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 1 जुलाई को सुबह करीब 4 बजे देवी-देवताओं के रथों के निकलने से पहले मंदिर में मंगला आरती करेंगे। सामान्य समय में लाखों लोग आषाढ़ी बीज के दिन रथयात्रा के मार्ग में देवताओं और जुलूस की एक झलक पाने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिसमें सजे-धजे हाथी और कई झांकियां शामिल होती हैं। परंपरागत रूप से शहर के जमालपुर इलाके में आषाढ़ी बीज पर चार सौ साल पुराने मंदिर से सुबह 7 बजे से रथों के नेतृत्व में जुलूस शुरू होता है और कुछ सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाको समेत पुराने शहर से गुजरने के बाद रात 8 बजे तक लौटता है।
145वीं रथयात्रा में लाखों लोगों के आने की संभावना
अधिकारियों ने बताया, भगवान जगन्नाथ की 145वीं रथयात्रा में 1 जुलाई को राज्यभर से लाखों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए शहर के सभी मार्गों पर कम से कम 25 हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ सुबह करीब सात बजे मंदिर परिसर से निकलेंगे। गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने बुधवार को कहा कि रथ यात्रा की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस, रिजर्व पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस के 25,000 जवानों को तैनात किया जाएगा। इससे पहले सांघवी और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने जमालपुर इलाके में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया और कुछ अनुष्ठानों में हिस्सा लिया।
फेस डिटेक्शन कैमरे से भी रखेंगे नजर
पुलिस जुलूस के मार्ग में घूमने वाले असामाजिक तत्वों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए फेस डिटेक्शन कैमरे भी लगाएगी। जुलूस में कम से कम 18 हाथी, 100 ट्रक और 30 अखाड़े (स्थानीय व्यायामशाला) शामिल होंगे, जो दिन के दौरान 15 किमी की दूरी तय करेंगे। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को परंपरा के अनुसार खलासी समुदाय द्वारा खींचा जाएगा।
दो साल बाद हो रही रथयात्रा
2020 में जब गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सार्वजनिक जुलूस की अनुमति देने से इनकार किया था तब भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर में एक प्रतीकात्मक रथयात्रा का आयोजन किया गया था। पिछले साल, केवल तीन रथों और दो अन्य वाहनों ने पूरे मार्ग को कवर किया था और सामान्य उत्सव के बिना वापस लौट आए थे, क्योंकि किसी अन्य वाहन, गायन मंडली, अखाड़े, हाथी या सजाए गए ट्रकों की अनुमति नहीं थी।