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20 रुपये में इलाज करने वाले डॉक्टर को मिला पद्म श्री, जानें कौन हैं ये शख्स

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कल बुधवार को 106 हस्तियों को प्रतिष्ठित पद्म सम्मान से नवाजे जाने का ऐलान किया गया. इनमें कई गुमनाम नाम भी शामिल हैं जो बिना शोर-शराबे के अपने काम में लगे हुए हैं. इन्हीं में से एक हैं डॉक्टर मुनिश्वर चंदर डावर, जो सेना से रिटायर हैं और मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहे हैं. रिटायर होने के बाद उन्होंने यहां पर गरीबों के लिए अपनी क्लिनिक की शुरुआत की।

डॉक्टर मुनिश्वर चंदर डावर ने रिटायर होने के बाद ‘डावर की दवा’ नाम से जबलपुर में एक क्लिनिक खोली, जहां वह महज 20 रुपये की फीस में लोगों का इलाज करते हैं. पहले इनकी फीस महज 2 रुपये हुआ करती थी जो अब बढ़कर 20 रुपये हो गई है. हालांकि फीस को लेकर यह रियायत भी है कि जिनके पास पैसे नहीं हैं वो फीस दिए बगैर ही इलाज करा सकते हैं. लोग उनकी क्लिनिक में आते हैं और टेबल पर अपने मन से फीस रख देते हैं।

डॉ. डावर को पद्मश्री मिलने की खबर जैसे ही सामने आई, उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। डॉ. डावर के मुताबिक, वह नहाकर कपड़े पहन रहे थे, इतने में उन्हें दिल्ली से कॉल आया। कहा गया कि किसी को मत बताइएगा, लेकिन मैंने अपने बेटे को बता दिया।

टीचर ने कहा था- कभी किसी को निचोड़ना मत

बुधवार सुबह की बात है। मैं डेली रुटीन की तरह सुबह उठा। नहाकर कपड़े पहन रहा था, इतने में मोबाइल की रिंगटोन बजी। कॉल दिल्ली से थी। मुझसे कहा गया कि बधाई हो आपको पद्मश्री के लिए सिलेक्ट किया गया है। मुझसे मेरे नाम की स्पेलिंग और दूसरी जानकारी पूछी गई। बताया कि रात 8 बजे नाम की घोषणा हो जाएगी। अभी आप किसी से इस बात की चर्चा मत कीजिएगा। मैं बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को यह बात बता दी। रात 8 बजे जैसे ही पद्मश्री की घोषणा हुई, घर बधाई देने वाले लोगों का तांता लग गया।

मुझे कम फीस लेकर लोगों की सेवा करने की प्रेरणा अपने टीचर तुलसीदास से मिली। उन्होंने मुझसे दो टूक कहा था कि डॉक्टर बनने के बाद कभी किसी को निचोड़ना मत। उनकी प्रेरणा के बाद में समाज सेवा निरंतर करता रहा। हालांकि, इस बीच मुझे अपने स्वास्थ्य कारणों से अड़चनें भी आईं, लेकिन मैंने अपनी सेवाभाव से कभी समझौता नहीं किया।

मैं कोरोना काल में भी लोगों की काफी मदद करना चाहता था। मैं अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाया, क्योंकि मुझे दो बार खुद ही कोरोना हो गया था। इसका मुझे अफसोस होता है। निरंतर सेवा भाव से काम करते रहना चाहिए। इसका रिटर्न हमेशा ही मिलता है। वही आज रिटर्न मुझको मिला है। मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी। मैं निरंतर सेवा भाव से अपना कर्तव्य का निर्वहन कर रहा था।

1971 की भारत-पाक जंग के दौरान घायल सैनिकों का इलाज किया

डॉ. डावर ने बताया कि जब उन्होंने सेना में भर्ती के लिए एग्जाम दिया था, तब 533 उम्मीदवारों में से केवल 23 ही सिलेक्ट हुए थे। इनमें से 9वें नंबर पर उनका नाम था। 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश में की गई। डॉ. डावर ने न जाने कितने घायल जवानों का इलाज किया। जंग खत्म होने के बाद स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ा। इसके बाद 1972 से उन्होंने जबलपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरू की।

2 रुपए फीस से की थी शुरुआत

डॉ. डावर ने बताया कि उन्होंने अपनी फीस की शुरुआत 2 रुपए से की थी। 10 नवंबर 1972 के दिन जबलपुर में उन्होंने अपने पहले मरीज की जांच की थी। उन्होंने बताया कि वह 1986 तक मरीजों से 2 रुपए फीस लेते थे। इसके बाद उन्होंने 3 रुपए लेना शुरू कर दिए। 1997 में 5 रुपए और फिर 15 साल बाद 2012 में फीस 10 रुपए बढ़ा दी। दो साल पहले नवंबर से उन्होंने 20 रुपए फीस लेना शुरू कर दिया।

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