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Diwali 2021: अष्ट लक्ष्मी की आराधना से होती है यश, कीर्ति, वैभव और धन की प्राप्ति

Diwali 2021: कार्तिक मास भगवान पुरुषोत्तम और धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित मास है। इस महीने में श्रीहरी और मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप बतलाए गए हैं। इन अष्टलक्ष्मी की आराधना से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए जानते हैं अष्टलक्ष्मी के स्वरूप और इनसे मिलने वाले फल के संबंध में।

1- आदि लक्ष्मी

श्रीमद्भागवत पुराण में आदि लक्ष्मी को देवी लक्ष्मी का पहला स्वरूप कहा गया है। देवी को मूल लक्ष्मी या महालक्ष्मी भी कहा गया है। मान्यता है कि आदि लक्ष्मी मां ने ही सृष्टि की उत्पत्ति की है और वो भगवान श्रीहरी के साथ मिलकर जगत का संचालन करती हैं। आदि लक्ष्मी की उपासना से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2- धन लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी के दूसरे स्वरूप को धन लक्ष्मी कहा जाता है। देवी के एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। धन लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार, मां लक्ष्मी ने ये स्वरूप भगवान विष्णु को कुबेर के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए लिया था।

3- धान्य लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी का तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी है, देवी धान्य यानि अन्न के रूप में वास करती हैं। धान्य लक्ष्मी को मां अन्नपूर्णा का ही एक स्वरूप माना जाता है। देवी धान्य लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कभी भी अनाज या खाने का अनादर नहीं करना चाहिए।

4- गज लक्ष्मी

गज लक्ष्मी हाथी के ऊपर कमल के आसन पर विराजमान हैं। देवी गज लक्ष्मी की कृषि और उर्वरता की देवी के रूप में आराधना की जाती है। देवी गज लक्ष्मी की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। राजा को समृद्धि प्रदान करने के कारण देवी को राज लक्ष्मी भी कहा जाता है।

5- संतान लक्ष्मी

स्कंदमाता को संतान लक्ष्मी को रूप में भी जाना जाता है।देवी के चार हाथ हैं और अपनी गोद में कुमार स्कंद को बालक रूप में लेकर बैठी हुई हैं। मान्.ता है कि संतान लक्ष्मी भक्तों की रक्षा अपनी संतान की तरह करती हैं।

6- वीर लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी का वीर लक्ष्मी स्वरूप भक्तों को वीरता, ओज और साहस प्रदान करता है। वीर लक्ष्मी मां युद्ध में विजय का वरण करवाती हैं और अपने हाथों में तलवार और ढाल जैसे अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं।

7- जय लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी के जय लक्ष्मी स्वरूप को विजय लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। देवी के इस स्वरूप की उपासना से भक्तों की जीवन के हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है। जय लक्ष्मी मां भक्तों को यश, कीर्ति तथा सम्मान प्रदान करती हैं।

8- विद्या लक्ष्मी

मां के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप का आठवां रूप विद्या लक्ष्मी है। ये ज्ञान, कला तथा कौशल प्रदान करती हैं। इनका रूप ब्रह्मचारिणी देवी के जैसा है। इनकी साधना से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

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