Mradhubhashi
Search
Close this search box.

Diwali 2021: इस यंत्र के कारण नाराज देवी लक्ष्मी धरती पर आई थी वापस, जानिए दिलचस्प जानकारी

Diwali 2021: मानव अपने जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और आरोग्य की कामना करता है। देवी-देवताओं की आराधना का प्रमुख उद्देश इहलोक में समस्त सुखों का भोग और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होता है। शास्त्रों में यंत्र, तंत्र और मंत्र का प्रभावकारी वर्णन किया गया है, जो मानव जीवन की दशा और दिशा बदल देते हैं। ऐसा सुख-समृद्धि देने वाला यंत्र श्रीयंत्र है।

श्रीयंत्र के निर्माण की कथा

शास्त्रोक्त मान्यता है कि श्रीयंत्र की उपासना से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है आरोग्य के साथ विपुल धन-धान्य का वरदान मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महालक्ष्मी नाराज होकर बैकुण्ठ लोक चली गई। देवी लक्ष्मी के जाने से पृथ्वी तल पर उथल-पुथल मच गई। ब्राह्मण और वैश्य लक्ष्मी के बिना निर्धन और असहाय हो गए। उस समय ब्राह्मण श्रेष्ठ महर्षि वशिष्ठ ने संकल्प लिया कि वो लक्ष्मी को प्रसन्न कर भूतल पर लाएंगे। महर्षि वशिष्ठ देवी लक्ष्मी को मनाने के लिए बैकुण्ठ गए।

महर्षि वशिष्ठ ने की तपस्या

बैकुण्ठ में वशिष्ठजी को पता चला की लक्ष्मीजी किसी भी हालत में धरती पर आने के लिए तैयार नहीं है। वशिष्ठजी बैकुण्ठ में पद्मासन अवस्था में बैठकर श्रीहरी की आराधना करने लगे। भगवान विष्णु जब प्रसन्न होकर प्रकट हुए तो महर्षि वशिष्ठ ने कहा लक्ष्मीजी के नाराज होकर धरती से आने पर पृथ्वी श्रीहीन हो गई है और हमारे आश्रम भी उजड़ गए हैं और धरती का वैभव समाप्त हो गया है। श्रीहरी महर्षि वशिष्ठ को लेकर लक्ष्मीजी को मनाने के लिए गए तो लक्ष्मीजी ने कहा,’ पृथ्वी पर साधना और शुद्धि नहीं है इसलिए वह किसी भी परिस्थिति में वहां नहीं जाएगी।’

देवगुरु बृहस्पति ने बताई श्री यंत्र साधना

देवी लक्ष्मी के उत्तर से निराश होकर वशिष्ठजी धरती पर लौट आए और लक्ष्मीजी के निर्णय से सबको अवगत करवाया। उस समय देवगुरु बृहस्पति ने कहा कि इस परिस्थिति में एकमात्र विकल्प ‘श्रीयंत्र साधना’ है। यदि सिद्ध ‘ श्री यंत्र ’ का निर्माण कर स्थापित किया जाए तो महालक्ष्मी धरती पर वापय आ जाएगी।

धरती पर आई देवी लक्ष्मी

देवगुरु के सुझाव से ॠषियों ने धातु पर श्रीयंत्र का निर्माण किया और उस यंत्र को मंत्र सिद्ध कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की। धनतेरस के दिन श्रीयंत्र को स्थापित कर विधि-विधान से उसका षोडशोपचार पूजन किया गया। पूजन की समापन पर देवी लक्ष्मी वहां पर प्रकट हुई और कहा कि मैं धरती पर आने के लिए तैयार नहीं थी, किंतु बृहस्पति की युक्ति से मुझे आना ही पड़ा। श्रीयंत्र मेरा आधार है और इसी में मेरी आत्मा निहित है।‘

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट