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दिव्यांगों को चार घंटे तक खड़े रखा, नहीं दिए उपकरण, अव्यवस्था की भेंट चढ़ा दिव्यांगजन परीक्षण व सहायक उपकरण वितरण शिविर

आगर मालवा। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा पुराने हॉस्पिटल परिसर में लगाए गए दिव्यांगजन शिविर में दिव्यांगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दो दिनी शिविर में विभाग द्वारा 80 से अधिक व्यक्तियों को चिह्नित किया गया था, दिव्यांगों को उपकरण मिलना थे, लेकिन उनकी भारी फजीहत हुई। जिले के नलखेड़ा, सुसनेर, सोयत व आगर विधानसभा क्षेत्र के गांवों से आए दिव्यांगों को चार घंटे शिविर में खड़े रखा और दिव्यांग प्रमाण पत्र न होने से उपकरण नहीं दिए और विभाग के अधिकारी उन्हें घुमाते रहे। 80 से अधिक दिव्यांगों को चिह्नित कर उपकरण वितरित करना थे, लेकिन न्हें पूर्व में सूचना तक नहीं दी गई।

एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव व विधायक प्रतिनिधि अंकुश भटनागर ने बताया कि सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों द्वारा किसी भी दिव्यांग को सूचना नहीं दी गई और न ही बताया गया कि क्या-क्या दस्तावेज लाना है। जिन व्यक्तियों का नाम सूची में था वे शिविर में पहुंचे तो उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट न होने से उपकरण नहीं दिए गए, जबकि विभाग ने ही सूची में उनका चयन किया था। विभाग द्वारा 80 से अधिक लोगों को चिह्नित कर उपकरण वितरित करना थे तो उन्हें पूर्व में सूचना क्यों नहीं दी गई।

स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक नहीं थे
परेशान दिव्यांगों ने अंकुश भटनागर से संपर्क किया तो वे तत्काल शिविर में पहुंचे और सामाजिक न्याय विभाग के नीलेश व राजू अहिरवार से चर्चा की तो उन्होंने दिव्यांगजन के लिए अपशब्द का उपयोग किया। जिला प्रशासन द्वारा दिव्यांगों को उपकरण वितरण का शिविर लगाया गया था तो फिर वहां स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक क्यों नहीं गए। कैम्प में दिव्यांग परीक्षण के लिए डॉक्टर मौजूद होते तो दिव्यांगजन को उपकरण तत्काल मिल जाते। सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी के रूखे व्यवहार से दिव्यांगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

मेडिकल सर्टिफिकेट न होने से लौटा दिया
जिले के नलखेड़ा, सुसनेर,सोयत व आगर विधानसभा क्षेत्र के गांवों से आए दिव्यांगों को 4 घंटे शिविर में खड़े रखा, लेकिन दिव्यांगता प्रमाण पत्र न होने के चलते उपकरण नहीं दिए गए। उपकरण विभाग के अधिकारी घुमाते रहे। पूरे शिविर में कुर्सियां खाली रहीं। जिन दिव्यांगों को आज खबर लगी वे आए तो उनके मेडिकल सर्टिफिकेट न होने से लौटा दिया गया। दूरदराज से आए दिव्यांगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पहले ही दिव्यांगों की लाचारी से पीड़ित परिजन इस शिविर की अव्यवस्था से लाचार दिखे और जाते-जाते सिर्फ यही कहा कि जब व्यवस्था ही नहीं थी तो बुलाया क्यों।

भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं
शिविर में दिव्यांगों के लिए भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। सुबह से शाम तक दिव्यांगों को लेकर भटक रहे परिजन व दिव्यांगों को सिर्फ नाम मात्र का नाश्ता दिया गया। अव्यवस्था की भेंट चढ़े शिविर में तैनात अधिकारी के लिए भोजन के पैकेट की व्यवस्था की गई, लेकिन उपकरण लेने पहुंचे दिव्यांगों को सिर्फ नाम मात्र के नाश्ते के सहारे छोड़ दिया गया।

सामाजिक न्याय विभाग की सूची काफी पुरानी
जिस सूची में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा दिव्यांगजन को चिह्नित किया गया उन्हीं दिव्यांगों को मेडिकल सर्टिफिकेट न होना बताकर उपकरण नहीं दिए गए और बिना सूची के नाम वाले दिव्यांगों को भी मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर उपकरण नहीं दिए गए। जब मेडिकल सर्टिफिकेट आवश्यक था तो पूर्व में कोई सूचना क्यों नहीं दी गई या फिर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सकों को परीक्षण के लिए क्यों नही बुलाया गया। अधिकारी खुद की सूची पर ही प्रश्न चिह्न लगाते मिले।

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