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DAVV नई शिक्षा नीति शैक्षणिक सत्र से करेगी शुरू, 50 प्रतिशत जुड़ेगा नया सिलेबस

इंदौर। भारतीय शिक्षा प्रणाली में नए शैक्षणिक सत्र से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। हालांकि देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने नई शिक्षा नीति शैक्षणिक सत्र से शुरु कर दी हैं। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में नई नीति 2020 के तहत यूजी, पीजी और डॉक्टरेट प्रोग्राम में एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलने जा रही है। जानकारों के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2021-22 से उच्च शिक्षा विभाग ने यूजी में नई शिक्षा नीति लागू कर दी है।

नई नीति के अनुरूप किताबों की छपाई को लेकर प्रक्रिया जल्द पूरी की जाना हैं। नीति के अनुरूप अब पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। जानकारों के अनुसार सेकंड ईयर में साइंस और कॉमर्स विषय में सबसे ज्यादा सिलेबस बदला जाना है, जबकि आर्ट्स का सिलेबस थोड़ा कम है। वहीं कुछ नए विषय पाठ्यक्रम में जोड़े जा रहे है। दरअसल, दिसंबर में बीए, बीकाम और बीएससी सहति अन्य यूजी कोर्स के फर्स्ट ईयर का सिलेबस बना है। वैसे नए सिलेबस के हिसाब से फर्स्ट ईयर के विषयों की किताबें अभी तक छप नहीं पाई है। ऐसी परिस्थिति अगले साल भी स्टूडेंट्स के सामने न आए इसके लिए विभाग ने यूजी सेकंड ईयर का सिलेबस बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए अलग-अलग विषयों की कमेटी बनाई है, जिन्हें अगले तीन महीनों के अंदर सिलेबस बनना है। विषय विशेषज्ञों की कमेटी को करीब 50-65 विषयों में बदलाव करना है। जानकारों का कहना है कि 40 प्रतिशत विषयों में महज 10-15 टॉपिक बदलना है, जबकि बाकि विषयों में 50 प्रतिशत नया सिलेबस जुड़ेगा। विभाग ने प्रत्येक विषय की कमेटी को तीन महीने का समय दिया है। अप्रैल तक सिलेबस को विभाग से मंजूर करवाना है, ताकि मई-जून तक पुस्तकों की छपाई करवाई जा सके।

कुछ विषयों की किताबें ही नहीं आई

सूत्रों के अनुसार बीए, बीकॉम और बीएससी पहले वर्ष की मुख्य कोर्स की किताबें पिछले साल नवंबर के पहले सप्ताह में बाजार में आना थी, लेकिन कुछ विषयों की नहीं आई। यह नई एजुकेशन पॉलिसी के हिसाब से तैयार कोर्स की किताबें है। दूसरी ओर इन तीनों ही कोर्स में अनिवार्य सभी 50 वोकेशनल विषयों की किताबें भी नहीं आई। इन वोकेशनल विषय में से बीए, बीकॉम और बीएससी के पहले वर्ष के स्टूडेंट्स को कम से कम एक विषय चुनना अनिवार्य है। वहीं जो नए विषय जुड़े हैं उनकी भी किताबों के कुछ पते नहीं है।

पढ़ाई छोड़ने वालों को सात साल का समय

एक निजी कॉलेज के प्रोफेसर के अनुसार स्टूडेंट छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ने से लेकर यूनिवर्सिटी तक को अपनी सहूलियत के हिसाब से बदल (पोर्टबल फेसिलिटी) सकता हैं। स्टूडेंट जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेंगे, वहीं से उसे सात साल के अंदर जारी करने का भी विकल्प है। स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित है। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। खास बात है कि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट अनिवार्य होंगे, लेकिन यूनिवर्सिटी को आजादी दी है कि वे क्रेडिट स्कोर के मानक (क्राइटीरिया) में बदलाव कर सकेंगे।

दूसरे वर्ष लेटरल एंट्री का भी विकल्प

नौकरीपेशा या अपना कामकाज कर रहे लोगों को भी डिग्री पूरी करने का अब विकल्प है। परिवारिक या किसी अन्य दिक्कत के चलते जो लोग बीच में पढ़ाई छोड़ चुके थे, उन्हें भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाने का प्रयास है। कोई आॅटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल समेत दूसरे प्रोफेशनल कामों में लगे लोगों को बीटेक या बीई जैसी तकनीकी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिल रहा है। इसके लिए यूजी प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में विकल्प हैं। हालांकि दाखिले से पहले वर्षों पहले पढ़ाई छोड़ चुके लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें एक परीक्षा पास करनी होगी।

तीन महीने के अंदर बनना है सिलेबस

मप्र शासन की ओर से नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई हैं। यूजी सेकंड ईयर का सिलेबस बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए अलग-अलग विषयों की कमेटी बनाई है, जिन्हें अगले तीन महीनों के अंदर सिलेबस बनना है।

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