कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस से पीड़ितों की संख्या देश में बढ़ती नजर आ रही है। ब्लेक फंगस के उपचार में होने वाला महत्वपूर्ण इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन अस्पतालों में मिल नहीं पा रहा है। लगातार बढ़ती इंजेक्शन की मात्रा को देखते हुए गुरूवार को भारत सीरम लिमिटेड द्वारा 1,910 एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। इन्हें चार्टर प्लेन के माध्यम से मुंबई से मंगाया गया है ।
1,910 एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन मुंबई को हुए प्राप्त
कोरोना कहर के बीच ब्लैक फंगस इन्फेशन जानलेवा साबित हो रहा है।अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मरीज की मौत भी हो सकती है। यह इन्फेक्शन साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेता है । इसके बाद शरीर में फैल जाता है। इसे रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा निकालना पड़ता है , वही दूसरी और इस इलाज में महत्वपूर्ण माने जाने वाले एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन भी अस्पतालों में नजर नहीं आरहे है। ब्लैक फंगस से पीड़ित के परिजन इन इंजेक्क्शन के लिए कई जगह कलेक्टर के पैर तक छूते नजर आए। देश में हो रही इंजेक्शन की कमी को देखते हुए सरकार द्वारा गुरुवार को 1,910 एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन प्राप्त हुए । इंजेक्शन के डोज भारत सीरम लिमिटेड द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं ,जिन्हे चार्टर प्लेन के माध्यम से मुंबई से मंगाया गया है ।
बतादें कि ब्लैक फंगस अधिकतर उन लोगों को होता है जिन्हे डाइबिटीज है और वे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं, उन पर ब्लैक फंगस के आक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। हालांकि कई ऐसे लोगों में भी इस बीमारी का पता चला है जिनको कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ था। डॉक्टरों का कहना है कि दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक कर पाता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। चूंकि डाइबिटीज मरीज स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनका इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है, इस कारण ब्लैक फंगस को उन्हें अपना शिकार बनाने का मौका मिल जाता है।