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भाजपा 4-1 से जीती चुनावी जंग: भगवा रंग में नहाए उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता मापने का भी चुनाव था। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनावी नतीजों ने बता दिया कि देश में अभी भी प्रधानमंत्री मोदी का जादू चल रहा है। मौजूदा परिस्थितियों में उनकी टक्कर में किसी भी दल में कोई नेता सर्वस्वीकार्य नहीं है। पंजाब की बात करें तो वहां कांग्रेस की सरकार गिरी है और आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है।

भाजपा ने 2019 के आम चुनाव में बंपर जीत हासिल की थी, लेकिन अगले ही साल कोरोना ने दस्तक दी और फिर किसान आंदोलन की शुरुआत हो गई। इसके अलावा विपक्ष की ओर से देश में महंगाई और बेरोजगारी को भी बड़ा मुद्दा बनाया गया था। एक तरफ पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन को मुद्दा बताया जा रहा था तो वहीं उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री बनाए जाने से सत्ता विरोधी लहर की चर्चा थी, लेकिन ये सभी मुद्दे नहीं चल पाए और अंत में रिजल्ट आया तो 5 राज्यों में से 4 में भाजपा ने जीत दर्ज की है। खासतौर पर उत्तरप्रदेश की जीत अहम है, जहां 35 सालों बाद कोई पार्टी सत्ता में वापसी कर रही है।
2024 का सेमीफाइनल कहा जा रहा यह असेंबली चुनाव प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था क्योंकि सबसे बड़े राज्य यूपी से बीजेपी की विदाई के कई सियासी मायने हो सकते थे। फिलहाल उन मायनों और अटकलों पर चुनावी परिणामों ने न केवल ब्रेक लगा दिया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि अभी भी देश में ब्रांड मोदी का ही जादू चल रहा है।

उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों का बदलना भाजपा के उतना खिलाफ नहीं गया, जितना माना जा रहा था। 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद यह पहला मौका है, जब किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल हुई है। उत्तराखंड में पिछले चार चुनावों में बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा सत्ता पर काबिज रही हैं लेकिन किसी भी पार्टी ने लगातार दूसरी बार कुर्सी हासिल नहीं की। वहीं मणिपुर में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और 60 में से 25 सीटें जीतती दिख रही है। साफ है कि सरकार बनाने की स्थिति में वही है। 40 सीटों वाले गोवा में भी भाजपा 19 सीटों पर बढ़त हासिल कर रही है।

लखीमपुर खीरी कांड का असर नहीं
यूपी में लखीमपुर खीरी वह इलाका है, जहां पर पिछले साल थार कांड हुआ था। किसान आंदोलन के दौरान निघासन विधानसभा के अंतर्गत आने वाले तिकुनिया में थार गाड़ी से कई किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई, जिसमें किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। इस कांड में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी बनाए गए और कई महीनों तक जेल की सजा तक काटनी पड़ी, लेकिन इस कांड का इन चुनाव परिणामों पर कोई असर नजर नहीं आया। इस इलाके की आठों सीटों पलिया, निघासन, गोला, श्रीनगर, धौरहरा, लखीमपुर, कास्ता और मोहम्मदी में बीजेपी को जीत मिल चुकी है।

मुस्लिम बहुल 126 सीटों पर बीजेपी
यूपी में बीजेपी ऐसी 126 सीटों पर आगे है, जिन्हें मुस्लिम बाहुल्य वाली माना जाता है। यूपी में अमरोहा, बुलंदशहर, बरेली, बदायूं, बागपत, बहराइच, लखनऊ, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बाराबंकी, पीलीभीत, सहारनपुर, श्रावस्ती, रामपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनोर, संत कबीर नगर, खीरी, गाजियाबाद, मेरठ, सुल्तानपुर, मुरादाबाद जिलों को मुस्लिम बाहुल्य माना जाता है. इन 22 जिलों में मुस्लिमों की आबादी 20 प्रतिशत से ज्यादा है और वहां पर किसी भी चुनावों में मुस्लिमों का मत निर्णायक माना जाता है।

सपा के वोट शेयर में 10 फीसदी इजाफा
सपा भले ही सरकार बनाने के अपने दावे को सच नहीं कर पाई, लेकिन अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रदर्शन को बेहतर जरूर किया है। सपा ने अपनी सीटें करीब तीन गुना बढ़ा ली है। इसके अलावा पार्टी के वोटर शेयर में भी 10 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। यूपी में सपा एकमात्र पार्टी है जिसकी सीटों में इजाफा हुआ है। भाजपा ने भले ही बहुमत पा लिया है, लेकिन सीटों में मामले में उसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 325 सीटें मिली थीं। इस बार भगवा गठबंधन 260 सीटों के आसपास रह सकती है।

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