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Arti: आरती से मिलता है पूजा का पूर्ण फल, जानिए आरती का महत्व

Arti: देव आराधना के क्रम में आरती का महत्वपूर्ण स्थान है। आरती से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और उपासक की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आरती, पूजा के समापन पर धूप, दीप और कर्पूर से की जाती है। मान्यता है कि आरती के बिना पूजा को अधूरा माना जाता है इसलिए अग्नि को प्रज्जवलित कर आरती की जाती है।

चार प्रकार की होती है आरती

आरती के संबंध में स्कंद पुराण में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन सिर्फ आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं। आरती को ईश्वर आराधना का सुलभ और सहज माध्यम माना जाता है। शास्त्रों में आरती के चार प्रकार बतलाए गए हैं। दीप आरती, जल आरती, धूप, कपूर, अगरबत्ती से आरती और पुष्प आरती।

दीप आरती: दीप आरती में दीप प्रज्जवलित कर देव आरती की जाती है। इसके माध्यम से हम संसार के लिए प्रकाश की प्रार्थना करते हैं।
जल आरती: जल जीवन का प्रतीक है। इसका अर्थ है हम जीवन रूपी जल से भगवान की आरती करते हैं।
धूप, कपूर, अगरबत्ती से आरती: धूप, कपूर और अगरबत्ती सुगंध का प्रतीक है। यह वातावरण को सुखमय और सुगंधित करते हैं इसलिए यह आरती मन-मस्तिष्क को प्रसन्नता प्रदान करती है।
पुष्प आरती: पुष्प सुंदरता और सुगंध का प्रतीक है। इसलिए अन्य कोई साधन न होने पर पुष्प से आरती की जाती है।

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