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जावेद अख्तर बोले-पति एक से अधिक बीवी रख सकता है, तो औरत क्यों नहीं

नई दिल्ली। जावेद अख्तर, गीत-गजलों और शायरी की मशहूर शख्सियत। लिखे में जितना मखमलीपन है, समाज से जुड़े मुद्दों में उतनी ही बेबाकी। जावेद अख्तर की जिंदगी पर एक किताब आई है। नाम है- ‘जादूनामा’। दरअसल जादू, जावेद अख्तर के बचपन का नाम है। ये नाम उनके पिता जां निसार अख्तर ने अपनी ही एक कविता से लिया था।

कॉमन सिविल कोड बिल पर जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को आड़े हाथों लिया। बोले- मुस्लिम पर्सनल लॉ में एक से ज्यादा बीवी रखने की इजाजत है, ये समानता के खिलाफ है। अगर पति कई पत्नियां रख सकता है तो फिर औरत को भी यही हक मिलना चाहिए। एक से ज्यादा शादी करना हमारे कानून के खिलाफ है। अगर कोई अपनी रिवायतें बरकरार रखना चाहे, तो रखे, लेकिन संविधान से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। मशहूर शायर, गीतकार और फिल्म पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को सरासर गलत ठहराया है. जावेद अख्तर ने कहा, ‘अगर मुसलमान पतियों को एक साथ 4 शादियां करने का हक जायज है, तो फिर महिलाओं को भी एक कई पतियों को रखने का हक मिलना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि एक से ज्यादा बीवी रखने से औरतों और मर्दों में बराबरी नहीं कायम रहती है. जावेद अख्तर ने साफ कहा, ‘एक वक्त में एक से ज्यादा शादियां करना देश के कानून और संविधान के नियमों के सरासर खिलाफ है.’

जावेद अख्तर ने कहा, ‘आज देश की समस्या ये है कि देश को सरकार और सरकार को देश माना जाने लगा है. सरकार तो आती-जाती रहती है, मगर देश तो हमेशा रहेगा.’ अख्तर ने कहा, ‘अगर कोई सरकार का विरोध करता है, तो उसे देशद्रोही करार दिया जाता है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘देश का मिजाज बहुत पहले से ही लोकतांत्रिक रहा है. हजारों साल के देश के जनमानस का मिजाज उदार रहा है. वो कभी कट्टरवादी नहीं रहा है. आज जिस तरह से कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा है, वो हिंदुस्तान का मिजाज नहीं है.’

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