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भोपाल की लाइफ लाइन में घुल रहा है 26 नालों का जहर

भोपाल। राजधानी भोपाल की लाइफ लाइन बड़ा तालाब खतरे में है। यहां के पानी में जहर घुल रहा है। एक या दो नहीं, बल्कि शहर के 26 नालों की गंदगी इसमें घोली जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले से जुड़ी याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम ने हलफनामें में यह बात कबूली। शहर की बाकी झीलों का भी यही हाल है।

राजा भोज का बनवाया शहर की शान भोपाल ताल का इंसान ही दुश्मन बन बैठा है। ये वो तालाब है जो पहले पूरे शहर की आबादी को पानी पिलाता था। लेकिन अब आबादी बढ़ने और दूसरे स्रोत होने के कारण पूरे न सही लेकिन आधी आबादी के लिए यहीं से पानी सप्लाई होता है। प्रदूषण से इसे खतरा पैदा हो गया है। बड़े तालाब में शहर के 26 नालों का गंदा पानी डाला जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले से जुड़ी याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम ने हलफनामें में यह बात कबूली।

47 सीवेज का मल मिल रहा है जल में

भोपाल शहरी क्षेत्र में 81 बरसाती नालों में से 47 घरेलू सीवेज की गंदगी बहकर जलाशयों में पहुंचती है। शहर की सीमा के अंदर बड़े तालाब समेत कुल 11 झीलों में सीवेज की गंदगी मिल रही है। बड़े तालाब में 26 बरसाती नालों में 18 नेचुरल ग्रेविटी से सीवेजयुक्त गंदा पानी भी बहाकर लाते हैं। छोटे तालाब में 34 नालों में से 16 घरेलू मल-जल बहाकर लाते हैं।

सीवेज ट्रीटमेंट की कमी

भोपाल में सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता 90.54 एमएलडी है। अमृत योजना के तहत 9 एसटीपी और 19 सीवेज पंप हाउस बनाए जा रहे हैं। निगम ने अपने हलफनामें में बताया कि 31 दिसंबर 2021 तक इनका काम पूरा हो जाएगा। एनजीटी ने अली मोहम्मद तेजावर खान की याचिका पर नगर निगम को जल्द से जल्द सभी झील-तालाबों को सौ-फीसदी सीवेज मुक्त करने के आदेश दिए और जब तक ऐसा नहीं होता तब तक सीपीसीबी और पीसीबी को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूली सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

ये है वर्तमान स्थिति

शहर की प्यास बुझाने वाले बड़े तालाब में 26 नालों का पानी मिल रहा है। रोज करोड़ों लीटर सीवेज से शहर की लाइफलाइन दिन-ब-दिन बर्बाद होती जा रही है। नगर निगम के दावों के बावजूद 100 फीसदी सीवेज रोक पाना संभव नहीं होगा। क्योंकि शहर में लगभग 390 एमएलडी सीवेज निकलता है. इस गैप को भरने में एसटीपी निर्माण और सीवेज लाइन बिछाने के लिए 1500 करोड़ रुपये की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों की मदद के बिना नगर निगम अपने बूते पर यह कर पाने में सक्षम नहीं है।

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