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पृथ्‍वी गोल नहीं होती तो नहीं होता हाईब्रिड सोलर इकलिप्‍स, पृथ्वी का गोल होना भी संकर सूर्यग्रहण का एक कारण

पृथ्वी गोल नहीं होती तो नहीं होता हाईब्रिड सोलर इकलिप्_स

भोपाल – पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी गोलार्द्ध के समुद्री भागों में 20 अप्रैल को दुर्लभ हाईब्रिड सूर्यग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। इस ग्रहण को भारत में तो नहीं देखा जा सकेगा लेकिन सदी में औसतन सिर्फ 7 बार होने वाली इस घटना का महत्व और विज्ञान समझने का यह अवसर है।

नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि अगर पृथ्‍वी गोलाकार न होकर सपाट चौकोर होती तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्‍स की घटना पृथ्‍वी पर नहीं होती। गणितीय रूप से ग्रहण के समय सूर्य और पृथ्‍वी के बीच की दूरी को चंद्रमा और पृथ्‍वी के बीच की दूरी से भाग देने पर अगर 400 के लगभग आता है तो हाईब्रिड सोलर इक्लिप्‍स होने की परिस्थितियां बनती हैं।

सारिका ने बताया कि हमारी पृथ्‍वी गोलाकार है इस कारण चंद्रमा की दूरी , लोकेशन बदलने पर बदलती रहती है। उन स्‍थानों पर जहां कि ग्रहण के दौरान चंद्रमा सिर के ठीक ऊपर (जेनिथ) होता है तो उसका अपेरेन्‍ट साइज बड़ा होता है इस कारण यह सूर्य को पूरी तरह से ढ़क लेता है और पूर्ण सूर्यग्रहण दिखने लगता है।

सूर्य को नहीं ढंकने से चमकता है किनारा
उन स्‍थानों में जहां कि चंद्रमा क्षितिज (होराइजन) के पास होता है वहां चंद्रमा का अपेरेंट साइज थोड़ा छोटा दिखता है और यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढंक पाता है जिससे सूर्य का किनारा चमकता रहता है और बीच में चंद्रमा के कारण काला अंधेरा दिखता है। यह वलयाकार सूर्यग्रहण (एन्यूलर इक्लिप्स) के रूप में दिखता है। अगर पृथ्‍वी सीधी सपाट होती तो चंद्रमा की दूरी एक समान रहती और कोई एक ही प्रकार का ग्रहण होता।

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