अशोकनगर। अशोक नगर में ग्या प्रसाद कलाकार मंडल के द्वारा 75 सालों से यह रामलीला जारी है। कोरोना के 2 साल छोड़ दिए जाएं तो सन 1947 से यह रामलीला आज तक लगातार होती रही हैं। इसमें राम बारात और रावण दहन के कुछ विशेष आयोजन भी किए जाते है।
अशोक नगर शहर की रामलीला बीते कई दशकों से आसपास के इलाकों में काफी प्रसिद्ध रही है। लोग दूर-दूर से इस रामलीला को देखने के लिए आते हैं। इस पूरी रामलीला का सबसे बड़ा आकर्षण आखरी के दिन रावण दहन का कार्यक्रम होता है। जिसमें करीब 15 से 20 हजार लोग भाग लेते हैं। रामलीला स्थल से ही भगवान राम की शोभायात्रा दशहरा मैदान तक जाती है, जहां पर रावण दहन का एक आकर्षक कार्यक्रम भी होता है। इस बार रामलीला में भगवान राम की बारात का एक बड़ा आयोजन भी किया जाता है। यह बारात अशोकनगर शहर के प्रमुख मार्गो से निकल कर रामलीला मंच पर पहुँचती है जिसे रघुवंशी संघ संचालित करता है।
इस रामलीला का शुभारंभ करने वाले पंडित गया प्रसाद शर्मा के पुत्र एवं रामलीला में बर्षो से रावण का अभिनय करने वालें प्रमेंद्र शर्मा का कहना है, कि अशोकनगर की रामलीला अपनी आकर्षक साज-सज्जा एवं बेहतरीन कलाकारी के लिए दूर-दूर तक जानी जानी जाती है। सन 1947 में जब यह रामलीला शुरू हुई थी तब शहर में लाइट नहीं होती थी और मशाल की रोशनी में इसे किया जाता था। इस रामलीला में कुछ ऐसे कलाकार भी हैं जो बीते 50 वर्षों से लगातार काम कर रहे हैं। कई परिवारों की तीसरी के साथ चौथी पीढ़ी भी इस रंग मंच में काम कर रही है,जिसमें एक परिवार की तीन पीढ़ी एक साथ मंच पर दिखाई देती है,इसके अलावा नई पीढ़ी भी पूरे जोश के साथ रामलीला में भाग लेती है।
मृदुभाषी प्रदेश के लिए विवेक शर्मा की रिपोर्ट।