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Shri Ram: अवधपुरी में जन्मे थे राम तो मांडवगढ़ चतुर्भुज स्वरूप हुए थे प्रकट जानिये पूरी कहानी

Shri Ram अवधपुरी में जन्मे थे राम तो मांडवगढ़ चतुर्भुज स्वरूप हुए थे प्रकट जानिये पूरी कहानी

Shri Ram: मांडू में विराजमान है वनवासी स्वरूप में भारत के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम

Shri Ram: कहते हैं देखिए दुनिया सारी घूम आए चारों धाम मांडवगढ़ में ही मिले चतुर्भुज राम

Shri Ram: कपिल पारिख/मांडू- जन्मस्थली अवधपुरी (Ayodhya) में उल्लास छाया हुआ है तो चतुर्भुज सरकार की प्राकट्य स्थली मांडू भी पूरी तरह राम मय हो गया है। पिछले एक महीने से राम नगरी भी राम महोत्सव के साक्षी बनी है।आज प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए राम भक्तों ने देश के एकमात्र चतुर्भुज के राम के दर्शन कर सार्थक किया। मंदिर परिसर में लगे बड़ी स्क्रीन पर जहां एक और भक्तगण रामलला विराजमान के उत्सव को देख अभीभूत हो रहे थे तो मंदिर में चल रहे हैं सुमधुर भजन पर भी उत्साहित कर रहे थे।

आज राम की नगरी मांडू हजारों राम भक्तों से सरोबार रही। आज यहां हजारों भक्तों के साथ जिले भर के जनप्रतिनिधि अधिकारी गण और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।जिले का एक बड़ा आयोजन मांडू के चतुर्भुज श्री राम मंदिर में संपन्न हुआ।यहां पिछले एक माह से रोजाना सुबह शाम नगर में कीर्तन प्रभात फेरी और यहां मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक धार्मिक आयोजन कार्यक्रम अभी भी जारी है।

साधु को स्वप्न देकर प्रकट हुए थे चतुर्भुज श्री राम

मांडू के चतुर्भुज श्री राम से कहीं चमत्कार जुड़े हुए हैं। प्रामाणिक इतिहास के तहत सन 1823 में पुणे महाराष्ट्र मे भगवान राम के अनन्य भक्त संत रघुनाथ दास जी महाराज को भगवान ने स्वप्न देखकर बताया कि मैं मांडवगढ़ में पूर्व दिशा में स्थित गूलर के वृक्ष के नीचे तल घर में विराजमान हूं और जनकल्याण के लिए प्रकट होना चाहता हूं।संत श्री अगले ही दिन मांडू की ओर रवाना हुए और धार स्टेट के महारानी शकु बाई पवार को स्वप्न के विषय में बताया रानी शकु बाई पवार भी उत्साहित हुई और संत को लेकर मांडू पहुंची।यहां पूर्व दिशा में स्थित गूलर के वृक्ष वाले स्थान की जानकारी निकाली गई।

उसके बाद हजारों लोगों की उपस्थिति में उस स्थान की खुदाई हुई जिसके अंदर से चतुर्भुज श्री राम की वनवासी स्वरूप की प्रतिमा के साथ माता सीता भगवान लक्ष्मण हनुमान सूरज देव और तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा प्राप्त हुई। प्रतिमा जब बाहर निकली तो वहां पर ताजे फूल और दीपक प्रज्वलित था ‌।हाथी पर प्रतिमा को रखकर रानी ने धर ले जाने के आदेश दिए और वहां इसके पूर्व एक मंदिर का निर्माण कराया पर बड़े जतन के बाद भी हाथी आगे नहीं बढ़ा उसके बाद प्रभु से राम ने पुनः संत रघुनाथ जी को स्वप्न दिया है कि वह जिस स्थान पर निकले हैं वहीं विराजमान होना चाहते हैं।धूमधाम से प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा मांडू में हुई जब भी से यह राम की नगरी और राम का बड़ा तीर्थ माना जाता है।

अद्भुत प्रतिमा के दर्शन कर अभिभूत हो जाते हैं भक्त

मंदिर में स्थित श्री राम की मूर्ति चतुर्भुज स्वरूप में है दाहिने हाथ में धनुषबाद है एवं जिस हाथ में धनुष है उसके नीचे वाले हाथ में कमल जी हाथ में बाढ़ है उसके नीचे वाले हाथ में माल है उसके नीचे है उसे हाथ में अंगद जी हैं चरण पीठ के नीचे साथ वाला स्थित है।चरण पीठ के नीचे संवत 957 अंकित है यह वनवासी राम है श्री लखन जी की मूर्ति में एक चरण में नल एवं एक चरण में नील है तथा उसके पास जानकी माता की मूर्ति है मंदिर के सामने दास हनुमान की मूर्ति जो जैन सितंबर मंदिर में स्थित है।

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