Mradhubhashi
Search
Close this search box.

MP Election News : सिंधिया (Scindia) समर्थक विधायकों को हराने की विशेष रणनीति से चिंतित मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat)

MP Election News : सिंधिया (Scindia) समर्थक विधायकों को हराने की विशेष रणनीति से चिंतित मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat)

MP Election News : तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) के सांवेर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और उनके पुत्र पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (Jaivardhan singh)के लगातार दौरे

MP Election News : तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) नए सिरे से जमावट में लगे, भोजन भजन और भंडारे की राजनीति हमेशा बाहरी विधायक (Mla) ही निर्वाचित हुआ है सांवेर(Sanwer) विधानसभा क्षेत्र से

MP Election News : मृदुभाषी डेस्क – इंदौर जिले की एकमात्र सुरक्षित सांवेर (sanwer) विधानसभा सीट कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) के कारण हाई प्रोफाइल है। कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष कमलनाथ (kamalnath) ने सिंधिया समर्थक विधायकों को हराने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। इस रणनीति को अंजाम देने का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह(digvijay singh) ने खुद उठाया है। कमलनाथ ने इंदौर जिले में दिग्विजय सिंह के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उनके पुत्र और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (Jaivardhan singh) को जिले का प्रभारी बनाया है।

इंदौर जिले का प्रभारी बनने के बाद जयवर्धन सिंह दो बार सांवेर का दौरा कर चुके हैं। एक महीने पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री तुलसी सिलावट ने खुद सांवेर आकर यहां की स्थिति की समीक्षा की थी। दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) समर्थक विधायकों को हराने के लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है।

दरअसल, सिंधिया समर्थक विधायकों के कारण कमलनाथ की सवा साल पुरानी सरकार का पतन हो गया था। कमलनाथ सरकार के पतन के कारण सबसे अधिक विचलित दिग्विजय सिंह हुए थे। इसका कारण यह था कि उन पर कमलनाथ सरकार गिरने के परोक्ष आरोप लगे थे। कुछ कमलनाथ समर्थकों ने दिग्विजय सिंह को इस मामले में निशाना भी बनाया था।

कमलनाथ कैंप के अनेक बड़े नेताओं ने सार्वजनिक रूप से और ट्विटर हैंडल के माध्यम से बयान दिए थे कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को राज्यसभा (Rajyasabha) में प्रथम वरीयता का उम्मीदवार या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया जाता तो वे भाजपा से बगावत नहीं करते। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को परेशान करने में सबसे अधिक दिग्विजय सिंह पर आरोप लगे थे।

सिंधिया समर्थकों ने भी इस संबंध में दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। कमलनाथ सरकार के बारे में कहा जाता था कि उस सरकार को परोक्ष रूप से दिग्विजय सिंह चला रहे थे। दिग्विजय सिंह के कारण ही ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बन सके। नतीजे में उन्होंने बगावत (mutiny) कर दी। दिग्विजय सिंह इन आरोपों से आज तक आहत हैं।

इस कारण से उन्होंने ग्वालियर चंबल (Gwalior-Chambal) अंचल और मालवा निमाड़ के तमाम ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों को घेरने की रणनीति का जिम्मा खुद लिया है। इसी संदर्भ में दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह लगातार सांवेर विधानसभा के दौरे कर रहे हैं। कांग्रेस की आक्रमक रणनीति के कारण भाजपा और पार्टी के संभावित प्रत्याशी तुलसी सिलावट बेचैन हैं। तुलसी सिलावट( ने नए सिरे से विधानसभा में जमावट करना प्रारंभ कर दिया है।

आमतौर पर तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) ने राजनीतिक रूप से कभी भी धर्म का सहारा नहीं लिया लेकिन इस बार सांवेर में उन्होंने भजन कथा और भंडारे के अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उन्होंने सांवेर (sanwer) में जनसंपर्क भी बढ़ा दिया है हालांकि श्री सिलावट छात्र जीवन से ही मैदानी नेता माने जाते हैं। कार्यकर्ताओं के काम करना और उनके सुख-दुख में आना उनका स्वभाव है।

सांवेर विधानसभा क्षेत्र हालांकि कांग्रेस विरोधी रुझान का रहा है लेकिन फिर भी तुलसी सिलावट 2023 के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के वे सबसे वरिष्ठ समर्थक माने जाते हैं। 1985 में उन्हें स्वर्गीय माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) की सिफारिश पर कांग्रेस ने टिकट दिया था।

माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) ने उन्हें नेहरू युवा केंद्र (Nehru Yuva Kendra) का उपाध्यक्ष बनाकर केंद्रीय मंत्री का दर्जा भी दिया था। उस समय केंद्रीय माधवराव सिंधिया मानव संसाधन मंत्री थे। 1990 और 93 में श्री सिलावट (Tulsi Silawat) को स्वर्गीय प्रकाश सोनकर ने पटखनी दी थी। दो चुनाव लगातार हारने के बाद तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) निराश हो गए और 1998 में उन्होंने टिकट ठुकरा दिया। कांग्रेस ने उस चुनाव में यहां से प्रेमचंद गुड्डू को टिकट दिया और वे जीत गए।

2003 में स्वर्गीय प्रकाश सोनकर फिर से जीते और उमा भारती तथा बाबूलाल गौर की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 2005 में स्वर्गीय सोनकर का निधन हो गया। उसके बाद हुए उपचुनाव में तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) ने फिर से जीत हासिल की और विधायक बने। 2008 में भी उन्होंने जीत का सिलसिला जारी रखा। 2013 में उन्हें फिर भाजपा के राजेश सोनकर के हाथों पराजय सहनी पड़ी, लेकिन 2018 में उन्होंने फिर से सांवेर से जीत हासिल की और कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

मार्च 2020 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता और कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) पद छोड़ा तथा भाजपा (Bjp) में शामिल हुए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के अन्य समर्थक भले ही भाजपा में एडजस्ट नहीं हो पाए लेकिन तुलसी सिलावट के मामले में ऐसा नहीं है। वे भाजपा (Bjp) में काफी घुल-मिल गए हैं। भाजपा के पुराने नेता और संघ परिवार के कार्यकर्ताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं।

रामबाग स्थित अर्चना कार्यालय में तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) अक्सर सौजन्य भेंट के लिए जाते हैं। यही वजह है कि सांवेर में तुलसी सिलावट के खिलाफ पुराने निष्ठावान भाजपाइयों में वैसा असंतोष नहीं है जैसा ग्वालियर चंबल अंचल या अन्य क्षेत्रों में देखा जाता है। सांवेर विधानसभा क्षेत्र से 1962 में जनसंघ के टिकट पर बाबूलाल परमानंद विजयी हो चुके हैं।

1977 में समाजवादी पृष्ठभूमि के अर्जुन सिंह घारू ने जनता पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव जीता। 1980 से 2003 तक लगातार प्रकाश सोनकर ने यहां से चुनाव लड़ा। यहां से अभी तक सज्जन सिंह विश्नार, तुलसी सिलावट और प्रेमचंद गुड्डू (Premchand Guddu) ही ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जो चुनाव जीत सके हैं। अन्यथा प्रकाश सोनकर यहां से 4 बार यहां से चुनाव जीते हैं। जुलाई 2020 में पहली बार ऐसा हुआ जब भाजपा के टिकट पर सोनकर परिवार से कोई यहां से चुनाव नहीं लड़ा। अन्यथा 1980 के बाद से लगातार इस सीट पर प्रकाश सोनकर और उनके परिवार के सदस्य लड़ते रहे हैं।

सभी निर्वाचित विधायक बाहरी नेता रहे हैं

देपालपुर( Depalpur) की तरह सांवेर भी ऐसी सीट है जहां से हमेशा बाहरी उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। कांग्रेस हो या भाजपा (Bjp) अभी तक यहां से जितने भी निर्वाचित विधायक हुए हैं, वे सभी इंदौर (Indore) शहर के मूल निवासी रहे हैं। सामाजिक समीकरणों के हिसाब से यहां पर बलाई समाज के दलितों के करीब 35000 वोट माने जाते हैं, इनके अलावा 20 हजार के लगभग खाती समाज के लोग हैं।

राजपूत, कुर्मी, मुराई और अन्य पिछड़े समाज के भी काफी वोटर यहां पर हैं। इस सीट को भाजपा का गढ़ बनाने में स्वर्गीय राजेंद्र धारकर का सबसे अधिक योगदान। स्वर्गीय राजेंद्र धारकर यहां साइकिलओं से आकर जनसंघ के सदस्यता अभियान को संचालित करते। उन्हीं के कहने पर फूलचंद वर्मा विष्णु प्रसाद शुक्ला और प्रकाश सोनकर ने सांवेर को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया। विष्णु प्रसाद शुक्ला का सांवेर में जबरदस्त प्रभाव रहा है। वे सांवेर जनपद के अध्यक्ष भी रहे हैं।

भाजपा में माना जाता है कि यदि सांवेर विधानसभा सीट सामान्य होती तो विष्णु प्रसाद शुक्ला 1980 में ही यहां से विधायक बन चुके होते। स्वर्गीय प्रकाश सोनकर विष्णु प्रसाद शुक्ला को अपने परिवार के मुखिया की तरह सम्मान देते थे। इस कारण से प्रकाश सोनकर के चुनाव का संचालन खुद बड़े भैया करते थे।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भाजपा (Bjp) की ओर से तुलसी सिलावट(Tulsi Silawat) कर चुनाव लड़ना लगभग तय है। तुलसी सिलावट यहां से पांच बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। चार बार उन्होंने कांग्रेस (Congress) के टिकट पर जीत हासिल की लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बहुचर्चित दल बदल के बाद उन्होंने मार्च 2020 में विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद जुलाई 2020 में हुए विधानसभा उपचुनाव में तुलसी सिलावट ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को रिकॉर्ड 53000 मतों से पराजित किया था।

यदि पार्टी ने किसी खास रणनीति के तहत तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) को सोनकच्छ(Sonkach) या ग्वालियर चंबल (Gwalior-Chambal) अंचल की किसी दलित सुरक्षित सीट पर भेजा तो यहां से भाजपा की ओर से राजेश सोनकर और सावन सोनकर प्रमुख दावेदार हैं। कांग्रेस (Congress) की ओर से कमलनाथ (kamalnath) और दिग्विजय सिंह दोनों ने ही प्रेमचंद गुड्डू की पुत्री रीना बोरासी सेतिया (Reena setiya Baurasi) को चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए हैं। रीना सेतिया खुद को कांग्रेस का भावी प्रत्याशी मानकर ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान जिस तरह से रीना सेतिया (Reena setiya Baurasi) ने यहां भीड़ जुटाई थी उससे कमलनाथ ने उनकी प्रशंसा राहुल गांधी के समक्ष की थी। रीना सेतिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राधाकिशन मालवीय के पोते विशाल मालवीय भी यहां से दावा ठोक रहे हैं। विशाल मालवीय के पिता राजेंद्र मालवीय यहां से चुनाव लड़ कर हार चुके हैं।

इनके अलावा पूर्व कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के पुत्र अर्जुन वर्मा और उनके भतीजे अभय वर्मा के नामों की चर्चा भी कांग्रेस कैंप में चलती रहती है। इस बार यहां भीम आर्मी (Bheem Army) जयस (jayas) और आम आदमी पार्टी (AAP) भी अपना संयुक्त उम्मीदवार लड़ाएगी। इस कारण से सांवेर का मुकाबला इस बार त्रिकोणीय हो सकता है

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट