Mradhubhashi
Search
Close this search box.

मुख्यमंत्री मोहन यादव को भाया मांडू का मेवा कहा खिरनी के पेड़ों का संरक्षण जरूरी

मुख्यमंत्री मोहन यादव को भाया मांडू का मेवा कहा खिरनी के पेड़ों का संरक्षण जरूरी

धरमपुरी विधायक कालू सिंह ठाकुर ने सीजन की पहली खिरनी मुख्यमंत्री को भेंटकर हाथों से खिलाई

कपिल पारीख/मांडू – मांडू के मेवे खिरनी की मिठास लाजवाब और स्वाद अद्भुत है। मुझे और मेरे पूरे परिवार को मांडू की खिरनी पसंद है। यह केवल फल ही नहीं बल्कि मांडू के इतिहास से जुड़ी अमूल्य प्राचीन धरोहर है। खिरनी के पेड़ों का संरक्षण हो और इनकी संख्या बढ़ाई जाए साथ ही इसके माध्यम से क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिले इसके लिए हम नीति बनाएंगे।

यह बात मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मांडू के मेवे के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध खिरनी का स्वाद चखते हुए भेंट करने वाले धरमपुरी विधायक कालू सिंह ठाकुर से कहीं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष रहते हुए मांडू आना जाना होता था उस दौरान खिरनी का स्वाद चखने को मिलता था। धरमपुरी विधायक कालूसिंह ठाकुर ने उन्हें मांडू की प्राचीन धरोहर खिरनी के पेड़ों के इतिहास के विषय में विस्तृत जानकारी दी और इसके संरक्षण के लिए नीति बनाने की मांग मुख्यमंत्री से की। विधायक कालू सिंह ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पूरी बात को गंभीरता से सुनते हुए इसके लिए योजना बनाने की बात कही है।

खिरनी के साथ सीताफल के संरक्षण और व्यापार की भी चर्चा

विधायक कालू सिंह ठाकुर ने बताया कि मांडू की प्राचीन खिरनी के साथ देश भर में प्रसिद्ध सिर्फ मांडू में ही पैदा होने वाले सीताफल को लेकर भी मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि मैं मुख्यमंत्री से मांग की है कि मांडू के प्रसिद्ध सीताफल खिरनी धावडे का गोंद औडवे मांडू की बालम ककड़ी के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भी नीति बनाने की बात कही है।

देशभर में निर्यात होती है मांडू की खिरनी

मांडू में खिरनी के हजारों पेड़ हैं।यह एक ऐसा फल है जो सिर्फ मांडू में ही पैदा होता है इसलिए इसे मांडू का विशिष्ट फल और मांडू का मेवा भी कहते हैं। मांडू की खिरनी से जुड़ा करोड़ों रुपए का व्यापार होता है। विशेष कर दक्षिण भारतीय व्यापारी यहां वर्ष भर सक्रिय रहकर स्थानीय आदिवासी लोगों से खिरनी और उसके बीज खरीदते हैं। आदिवासी परिवार के लोगजंगलों से खिरनी तोड़कर बाजार में अच्छे भावों में बेचते हैं जिससे उनकी आमदनी होती है। इसलिए कुछ समय से पूरे देश में विशेष कर दक्षिण भारत में खिरनी और चीकू के पौधों के फ्यूजन से बड़े आकर के चीकू प्राप्त करने की तकनीक प्रसिद्ध हो चुकी है इसके चलते हैं मांडू की खिरनी की मांग लगातार बड़ी है।

खास खास
पूरे देश में सिर्फ मांडू में ही होती है पैदावार ,मांडू और आसपास के जंगलों में खिरनी के हजारों पेड़ और बगीचे हैं मौजूद

आयुर्वेदिक दवाइयां के साथ मिठाई और शरबत में होता है मांडू की खिरनी का उपयोग सैकड़ो आदिवासी परिवारों के रोजगार का साधन है खिरनी करोड़ों रुपए का व्यापार प्रतिवर्ष होता है


ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट