55वां फिल्म फेस्टिवल इस बार गोवा में आयोजित हुआ। IFFI (इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया) और उसके साथ आयोजित फिल्म बाजार में इस साल हर तरफ एक ही नाम गूंजा और वो था निर्देशक अतुल गर्ग। निर्देशक इन दिनों अपनी फिल्म 'चोला' और आगामी प्रोजेक्ट 'कश्मीर एनिग्मा ऑफ पैराडाइज पार्ट वन' को लेकर चर्चा में हैं। उनका मानना है कि इन फिल्मों के जरिए वो लोगों को ये दिखाना चाहते हैं कि वे आज के समय के सबसे प्रभावशाली और क्रांतिकारी फिल्म निर्माता हैं।

IFFI में किया गया था फिल्म का प्रीमियर

IFFI के मंच से इस बार अतुल गर्ग की 'चोला' का प्रीमियर किया गया। यह फिल्म न केवल दर्शकों को बांधकर रखने में कामयाब रही, बल्कि इसे देखने के बाद मौजूद सभी दर्शकों और विशेषज्ञों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया। 'चोला' ने ना केवल कहानी कहने के अपने नए अंदाज से सबको चौंका दिया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि अतुल गर्ग सिनेमा की हर सीमा को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।

कश्मीर के हालातों का एहसास कराएगी फिल्म

IFFI के मंच पर गर्ग ने एक और इतिहास रचा जब उन्होंने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म 'कश्मीर एनिग्मा ऑफ पैराडाइज पार्ट वन' का ट्रेलर पहली बार गोवा के ग्रैंड याच पर लॉन्च किया। यह अपने आप में एक अनूठा और भव्य आयोजन था। कश्मीर की खूबसूरत घाटियों और एक संवेदनशील कहानी पर आधारित यह फिल्म पहले ही लोगों के बीच उत्सुकता पैदा कर चुकी है।

अतुल गर्ग की फिल्मों की कहानियां दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ती हैं और उन्हें अंदर तक झकझोर देती हैं। 'चोला' और 'कश्मीर एनिग्मा ऑफ पैराडाइज' इस बात के उदाहरण हैं कि गर्ग भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 'कश्मीर एनिग्मा ऑफ पैराडाइज' में खूबसूरत वादियों वाले कश्मीर के अलग अलग रंग-रूप और रीति-रिवाज को दिखाया जाएगा।

दर्शकों के दिलों तक पहुंचे फिल्म -अतुल गर्ग

IFFI के दौरान, फिल्म विशेषज्ञों और दर्शकों ने गर्ग के काम को भारतीय सिनेमा के लिए एक नई दिशा बताते हुए कहा, "अतुल गर्ग का नाम अब भारतीय सिनेमा की पहचान है। वे केवल फिल्में नहीं बनाते, वे एक अनुभव का निर्माण करते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी हर फिल्म दर्शकों के दिलों तक पहुंचे और कुछ नया सोचने को मजबूर करे।"

गर्ग मानते हैं कि सिनेमा उनके लिए सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि ये वो जरिया है जिसकी मदद से वो समाज, भावनाओं और इंसानी रिश्तों को गहराई को समझकर पर्दे पर दिखाते हैं। फिल्म की शूटिंग लखनऊ, उत्तराखंड और मुंबई में हुई है।