नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र में दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी के मुद्दे पर अब तक हंगामा ही देखने को मिला है। कांग्रेस और खासकर लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की ओर से इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। वहीं अब विपक्षी दल में शामिल टीएमसी के सुर अलग सुनाई पड़ रहे हैं। फिर बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन से अलग स्टैंड लेती हुई दिख रही हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) टीएमसी ने अपने सांसदों की बैठक में कांग्रेस से अलग राह अपनाने का फैसला किया है। बैठक संसद के दोनों सदनों में अडानी मामले पर कांग्रेस के हंगामे के बीच हुई। टीएमसी चाहती है कि संसद को चलने दिया जाए, ताकि जनता के मुद्दे उठाए जा सकें। राज्यसभा में टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने बताया कि टीएमसी संसद में जनता की आवाज बनना चाहती है।
टीएमसी बंगाल को केंद्र से मिलने वाले फंड में कथित कमी और मणिपुर की स्थिति जैसे मुद्दे को उठाना चाहती है। टीएमसी लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, टीएमसी चाहती है कि संसद चले, ताकी जनहित के मुददे उठाए जा सके। हम नहीं चाहते कि एक मुद्दा संसद को बाधित करे। हमें इस सरकार को उसकी कई विफलताओं के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए। उन्होंने कहा, टीएमसी संसद चलाना चाहती है। हम नहीं चाहते कि एक ही मुद्दा संसद को ठप करे। 
टीएमसी सांसदों के बयान के बाद ममता बनर्जी की पार्टी इंडिया गठबंधन में अपनी एक अलग जगह बनाती हुई दिख रही है। हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हालिया चुनावी हार और बंगाल उपचुनाव में टीएमसी की जीत के बाद यह स्थिति और मजबूत हुई है। बनर्जी सहित इंडियास गठबंधन के अधिकांश दिग्गजों के गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की उम्मीद है। यह विपक्षी गठबंधन के शक्ति प्रदर्शन का एक मंच होगा। सांसद दस्तीदार ने कहा कि टीएमसी राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन किसी भी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन में नहीं है। उन्होंने कहा, हम भाजपा का मुकाबला करने को तैयार हैं, लेकिन इस बारे में हमारा नजरिया रणनीतिक रूप से अलग हो सकता है।