गुटखा से डायबिटीज रोगियों को बढ़ जाता है पीएडी
वाराणसी। तंबाकू से होने वाले कैंसर से दुनिया में जितनी मौतें होती हैं, उनमें आधी सिर्फ सात देशों में होती हैं और इनमें भी भारत सबसे ऊपर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें तो गुटखा, पान मसाला और धूमपान से होने वालीं बीमारियों की वजह से हर वर्ष 87 लाख लोगों की जान जाती है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में वर्ष 2022 से 2024 तक 40 से 60 वर्ष आयु के डायबिटीज के 80 मरीजों पर हुए पहले चरण के शोध में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। गुटखा चबाने वाले डायबिटीज के 40 रोगियों की धमनियों में खून का प्रवाह धीमा पाया गया है।
उनकी धमनियों का एबीपीआइ (एंकल ब्रेसियल प्रेशर इंडेक्स) का मान सामान्य से काफी कम मिला है। ऐसे लोगों में ह्रदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम की संभावना अधिक पाई गई। साथ ही परिधीय वाहिकाओं में भी एथेरोस्क्लेरोटिक परिवर्तन (धमनियों में वसायुक्त जमाव) दिखाई पड़ा, इसके कारण परिधीय धमनी रोग (पीएडी) की गंभीरता का पता चला चला है।
आइएमएस में फिजियोलाजी विभाग की प्रो. रत्ना पांडेय व डा. वैभव मौर्य, एंडोक्राइनोलाजी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज कुमार अग्रवाल और एम्स गोरखपुर के एडिशनल प्रो. कुमार सर्वोत्तम शोध टीम का हिस्सा रहे।
प्रो. रत्ना पांडेय ने बताया कि अध्ययन के दौरान डायबिटीज के रोगियों के दो समूह बनाए गए थे। 40 मरीज ऐसे थे, जो गुटखा नहीं खाते थे जबकि 40 मरीज कई वर्षों से गुटखे का सेवन कर रहे थे। जो लोग गुटखा नहीं खाते थे, उनकी तुलना में गुटखा खाने वालों की धमनियों में रक्त प्रवाह धीमा मिला, क्योंकि उनकी नसों में एबीपीआइ मान कम था।
जो लोग गुटखा नहीं खाते थे, उनका एबीपीआइ का मान सामान्य था। सभी डायबिटीज रोगी दवा और इंसुलिन का प्रयोग करते थे। एंकल ब्रेकियल प्रेशर इंडेक्स तकनीक पर आधारित यह शोध यकीनन गुटखा चबाने के प्रतिकूल प्रभावों पर नई रोशनी डालता है, जिससे परिधीय धमनी रोग की उपस्थिति और गंभीरता का पता चलता है।
हालांकि जोखिम कम करने के लिए दूसरे चरण का शोध हो रहा है। परिधीय धमनी रोग में पैरों की धमनियों में अवरोध होता है, जिससे पैरों में दर्द, थकान और अन्य समस्याएं होती हैं। हालांकि, धूमपान छोड़कर, स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के जरिये इस बीमारी से बचा जा सकता है।
24 मरीजों में एबीपीआइ मान था बेहद कम
डा. वैभव ने बताया कि गुटखा खाने वाले 24 मरीजों में एबीपीआइ मान .8 से .9 के मध्य पाया गया, जबकि 16 लोगों में .75 से .8 के बीच था। एबीपीआइ मान .9 से 1.4 के मध्य है तो सामान्य माना जाता है। 0.8 से 0.89 हल्का अवरोध, 0.5 से 0.79 मध्यम अवरोध और 0.5 से कम मान गंभीर अवरोध का संकेत है।