राजस्थान की राजनीति किसी सस्पेंसफुल मूवी की तरह बनी हुई है। सीएम की गद्दी पर गहलोद बैठे हैं, लेकिन पायलेट लगातार उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष की गद्दी पर मल्लिकार्जुन खड़गे बैठ गए हैं। जिससे राजस्थान में क्या प्रभाव पड़ेगा ? एक्सपर्ट्स की माने तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आया खतरा टल गया है। दिल्ली में मल्लिकार्जुन खड़गे की ताजपोशी से यह संकेत मिले है। ताजपोशी के दौरान आई तस्वीरों ने कई सवालों के जवाब दिए है। बता दें, सीएम गहलोत बुधवार को खड़गे के पदभार ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली गए थे। गहलोत और सोनिया गांधी के साथ जिस तरह तस्वीरें सामने आईं उससे गांधी परिवार के साथ मजबूत रिश्तों पर मुहर लगी है।
सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ सीएम अशोक गहलोत ने गर्मजोशी से मुलाकात की। सीएम गहलोत ने जिस तरह से कामकाज नियमित शुरू किया है, उससे संकेत है कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक है।
बता दें, गहलोत कैंप के विधायकों ने 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया था। कांग्रेस के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को बिना बैठक किए ही दिल्ली जाना पड़ा। हालांकि, सीएम गहलोत ने संपूर्ण घटनाक्रम पर कांग्रेस आलाकमान से माफी मांग ली थी।
स्टीयरिंग कमेटी में भी गहलोत का दबदबा रहा है। खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद जो 47 सदस्यीय वर्किंग कमेटी बनाई है। उसमे सीएम गहलोत का ही दबदबा दिखाई दिया। राजस्थान से इस कमेटी में 4 नेता शामिल किए गए है। भंवर जितेंद्र सिंह, रघुवीर मीना, रघु शर्मा और हरीश चौधरी।
चारों नेता गहलोत कैंप के माने जाते हैं। जबकि पायलट कैंप नदारद है। माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे सचिन पायलट को औऱ जिम्मेदारी दे सकते हैं। हालांकि, पायलट इंकार कर चुके हैं कि वह राजस्थान से बाहर नहीं जाएंगे। कुल मिला कर देखा जाए तो मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से सचिन पायलेट की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही है।