श्रीलंका कई दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकटसे जूझ रहा है। देश में भोजन, रसोई गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है और ईंधन की कीमतें पहुंच से बाहर हो गई हैं। पेट्रोल पंप के बाहर पुलिस बल को तैनात किया गया है। इसके साथ पेपर की कमी के कारण स्कूली बच्चों की परीक्षाएं कैंसिल कर दी गईं हैं।
विदेशी मुद्रा की कमी का मतलब है कि देश के पास आवश्यक वस्तुओं को खरीदन के लिए पैसे नहीं हैं। श्रीलंका अपने आयात पर बहुत अधिक निर्भर है और आवश्यक वस्तुओं के अलावा वह पेट्रोलियम, भोजन, कागज, चीनी, दाल, दवाएं और परिवहन उपकरण भी आयात करता है। पेट्रोलियम जनरल एम्प्लाइज यूनियन के अध्यक्ष अशोक रानवाला के अनुसार, श्रीलंका में स्थिति इतनी गंभीर है कि सरकार को अपनी एकमात्र ईंधन रिफाइनरी में परिचालन स्थगित करना पड़ा क्योंकि यह कच्चे तेल के भंडार से बाहर हो गया था।आज श्रीलंका जिस आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है, वह विदेशी मुद्रा की कमी के कारण है। पिछले हफ्ते राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने स्वीकार किया था कि देश को 10 अरब डॉलर का व्यापार घाटा होगा। 2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद टूरिज्म इंडस्ट्री बेहद नीचे जा रही थी लेकिन कोविड 19 की स्थिति ने श्रीलंका की रीढ़ की हड्डी ही तोड़ दी।