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अतीक और अशरफ की हत्या साजिश के पीछे कौन ? पुलिस की थ्योरी में जितने उत्तर, उससे ज्यादा प्रश्न

अतीक और अशरफ की हत्या साजिश के पीछे कौन?: पुलिस की थ्योरी में जितने उत्तर, उससे ज्यादा प्रश्न

प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मीडिया कैमरों के सामने हत्या ने यूपी सहित पूरे देश में सनसनी फैला दी है। भले ही अतीक अहमद दुर्दांत अपराधी था, लेकिन अदालत से इतर सजा मिलना सवाल भी खड़े कर रहा है। पुलिस हिरासत में जिस तरह हत्या हुई , वह अब तक किसी को हजम नहीं हो रही। अब तक की जांच में पुलिस का कहना है कि हमलावरों ने डॉन बनने और नाम कमाने के मकसद से यह हमला किया था। लेकिन पुलिस की थ्योरी में जितने जवाब हैं, उससे ज्यादा सवाल पैदा हो रहे हैं।

खुफिया विभाग को कैसे पता नहीं चला ?

कहा जा रहा है कि तीनों हमलावर मीडियाकर्मी बनकर अतीक अहमद को वॉच कर रहे थे, लेकिन खुफिया विभाग कैसे इन लोगों के बारे में दो दिन में पता नहीं लगा सका, जबकि प्रयागराज के एक होटल में भी ये लोग ठहरे थे। हत्यारों का यह कहना कि वे अपराध की दुनिया का बड़ा नाम बनना चाहते थे, यह बात भी सवाल उठाती है। यदि ऐसा ही था तो कत्ल के बाद इन लोगों ने सरेंडर क्यों किया। इतनी बड़ी घटना को बिना प्लान के अंजाम नहीं दिया जा सकता और ऐसा खतरनाक प्लान इन लड़कों के बस का नहीं हो सकता। इसलिए यह भी एक अहम सवाल है कि पूरी साजिश के पीछे कौन है?

गुप्त बात कैसे हो गई जाहिर ?

अतीक और अशरफ जैसे दुर्दांत कैदियों की आवाजाही की सूचना आमतौर पर गुप्त ही रखी जाती है। फिर सवाल यह भी है कि अतीक को मेडिकल के लिए लाने की जानकारी कैसे हमलावरों तक पहुंच गई। हमलावरों को गरीब परिवारों का बताया जा रहा है। सनी सिंह और अरुण तो बेहद गरीब परिवारों से हैं और कमाई का कोई जरिया भी नहीं है। ऐसे में इन लोगों के पास तुर्की में बनी लाखों रुपए की पिस्तौल कैसे पहुंचीं।

पुलिस ने क्यों नहीं लिया जवाबी एक्शन ?

हमलावरों ने जब फायरिंग की तो पुलिस की ओर से कोई जवाबी एक्शन क्यों नहीं हुआ। अंत में भी बिना कोई हथियार निकाले ही पुलिस ने उन हमलावरों को पकड़ा, जबकि मौके पर तीन दर्जन पुलिस वाले मौजूद थे।

क्या सीक्रेट लेटर लिखकर गया है अतीक?

इस सनसनीखेज वारदात के बाद अब नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। दावा किया गया है कि अतीक ने अपनी हत्या से कुछ दिन पहले एक पत्र लिखा था। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट को संबोधित करते हुए लिखा गया था और इसे सुप्रीम कोर्ट को पोस्ट भी किया गया है। लेटर के खुलने के बाद कई अहम राज भी खुल सकते हैं। अतीक ने इस पत्र में अपनी हत्या की आशंका जताई थी। अतीक के वकील ने इस लेटर के बारे में कहा कि अतीक ने मुझसे कहा था कि उसे कुछ पुलिस अधिकारियों ने जेल में धमकी दी थी। उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी। यह सब जानकारी लेटर में है।

क्या 10-10 लाख रुपए की सुपारी दी गई?

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अतीक-अशरफ की हत्या के लिए तीनों आरोपियों को 10-10 लाख रुपए की सुपारी दी गई थी। अब सुपारी किसने और क्यों दी अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है।

प्रतापगढ़ जेल में शिफ्ट किए गए शूटर

तीनों आरोपियों को सोमवार को प्रयागराज की केंद्रीय जेल से प्रतापगढ़ जिला कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमीरपुर के सनी (23), बांदा के लवलेश तिवारी (22) और कासगंज के अरुण कुमार मौर्य (18) को प्रशासनिक आधार पर प्रयागराज की केंद्रीय कारागार से जिला जेल प्रतापगढ़ स्थानांतरित किया गया है।

हत्या से जुड़ी चार थ्योरी

थ्योरी-1: राज खुलने के डर से किसी ने घटना को अंजाम दिलवाया हो
अतीक और अशरफ के पास बड़ी संख्या में उद्योगपतियों, नेताओं, अफसरों के राज थे।

थ्योरी-2: कहीं अतीक और अशरफ ने खुद पर गोली तो नहीं चलवाई है? क्या ऐसा करके अतीक पूरे मसले को सांप्रदाायिक रंग देना चाहता था? आखिर हत्या के बाद हमलावरों ने जयश्रीराम का नारा क्यों लगाया?

थ्योरी-3: अतीक और अशरफ ने अपने कई करीबियों के नाम बेनामी संपत्ति करवा रखी है। पैसों का हिसाब-किताब भी दूसरों के पास ही रहता था। ऐसे में हो सकता है कि अतीक के किसी करीबी ने ही दोनों की हत्या करवा दी हो।

थ्योरी-4: पिछले कुछ साल से कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की खूब तारीफ हो रही है। ऐसे में क्या किसी ने जानबूझकर प्रदेश सरकार को बदनाम करने की नियत से तो ऐसा नहीं करवाया?

अब एसटीएफ और पुलिस का फोकस शाइस्ता परवीन पर

तीन दिन के अंदर बेटे असद, पति अतीक और देवर अशरफ के मारे जाने के बाद भी अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन का सामने न आना चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गया है। सोमवार को कोर्ट खुल गया, लेकिन शाइस्ता ने सरेंडर नहीं किया। पुलिस और एसटीएफ का फोकस भी अब शाइस्ता परवीन पर है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि शाइस्ता परवीन का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है।

उसे उमेश पाल हत्याकांड में मुख्य आरोपियों में से एक के रूप में नामजद किया गया है। उस पर 50,000 रुपए का इनाम है। हम लोग उमेश पाल की हत्या के बारे में उससे अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए ही नहीं बल्कि हथियारों की खरीद और हमलावरों को भुगतान करने के तरीके के बारे में भी पूछताछ करना चाहते हैं। 2017 से अतीक के जेल में होने के कारण शाइस्ता ही बाहरी दुनिया के साथ नेटवर्क से मिलकर अवैध साम्राज्य चलाने में मदद कर रही थी।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 51 वर्षीय शाइस्ता परवीन के खिलाफ प्रयागराज के कर्नलगंज और धूमनगंज थाने में कुल चार आपराधिक मामले दर्ज हैं। कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए पहले तीन मामले 2009 में दर्ज किए गए हैं। इनमें 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा या वसीयत की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (धोखाधड़ी) शामिल हैं। जाली दस्तावेज का उपयोग करने के अलावा शस्त्र अधिनियम की धारा 30 (लाइसेंस या नियम का उल्लंघन) करने में भी केस दर्ज है।

बीजेपी को फायदा या नुकसान के सर्वे शुरू

अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर और अतीक-अशरफ की हत्या के बाद मीडिया संस्थान इस बात को लेकर सर्वे भी करा रहे हैं कि इन घटनाक्रम से बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान। एबीपी और सी वोटर ने ऐसा ही सर्वे किया है। इस सर्वे में 1700 लोगों की राय ली गई। सर्वे 15 से 17 अप्रैल के बीच यूपी में किया गया। इस सर्वे के आंकड़े देखे जाएं तो बीजेपी को इससे 47 प्रतिशत फायदा, 17 प्रतिशत नुकसान और इसका बीजेपी पर कोई असर नहीं होगा इसका आंकड़ा 26 प्रतिशत है। वहीं इस मामले के लेकर 10 प्रतिशत ने कहा कि पता नहीं।

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