नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोवैक्स सुविधा के तहत उन देशों को ही वैक्सीन भेजी जाएंगी, जहां पर टीकाकरण कवरेज सबसे कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस तरह की घोषणा पहली बार की है। दरअसल दुनिया के गरीब देश अब भी कोरोना वैक्सीन की कमी से बुरी तरह जूझ रहे हैं। लोगों को वैक्सीन का एक डोज भी नहीं मिल पा रहा है। वहीं अमीर देशों में दो डोज पूरा कर बूस्टर डोज की तैयारी की जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में वैक्सीन सप्लाई के हेड मारिंगेला सियामो ने कहा है कि अक्टूबर की सप्लाई के लिए हमने विशेष तरीका अख्तियार किया है। सिर्फ उन्हीं देशों को कोवैक्स के तहत वैक्सीन भेजी जाएंगी, जहां पर वैक्सीनेशन कवरेज सबसे कम है।
प्रजेंटेशन के जरिए समझाया
उन्होंने एक प्रजेंटेशन के जरिए जानकारी दी कि किस तरह 90 गरीब देशों में से आधे में 20 प्रतिशत से भी कम वैक्सीनेशन हुआ है। वहीं अगर अमीर देशों की बात करें तो 70 फीसदी से ज्यादा वैक्सीनेशन का काम पूरा हो चुका है।
बूस्टर डोज का विरोध करता रहा है डब्ल्यूएचओ
बता दें कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के प्रकोप के मद्देनजर दुनिया के कई देश अब बूस्टर डोज की तैयारी करने लगे हैं। बीते समय में डब्ल्यूएचओ ने लगातार इसका विरोध किया है। संगठन का कहना है कि दुनिया में बड़ी आबादी के पास अभी वैक्सीन की पहुंच नहीं है। ऐसे में अमीर देशों को बूस्टर डोज से परहेज करना चाहिए और गरीब देशों तक वैक्सीन पहुंचाने में मदद करनी चाहिए।
भारत भी शुरू कर सकता है निर्यात
भारत भी अब कोरोना वैक्सीन के निर्यात की तैयारी कर रहा है। कुछ समय पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि भारत अब वैक्सीन मैत्री के तहत निर्यात शुरू कर सकता है। उन्होंने बायोलॉजिक ई से बड़ी संख्या में वैक्सीन मिलने की बात कही है।
वहीं सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने भी कहा है कि वो केंद्र सरकार से वैक्सीन निर्यात के लिए हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ के पास पहले से बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत (यानी कई हजार करोड़) के वैक्सीन डोज का ऑर्डर बैकलॉग में पड़ा हुआ है।