गुना. आमतौर पर समय पर न पहुंचने वाली 108 एंबुलेंस के स्टाफ ने सराहनीय काम किया है। एंबुलेंस चालक और उसके साथियों ने जिला अस्पताल में प्रसव के लिए आई एक ऐसी गर्भवती महिला को सही समय पर भोपाल अस्पताल पहुंचा दिया, जिसे वहां तक जीवित ले जाना बहुत मुश्किल लग रहा था. महिला को एक नहीं बल्कि कई तरह की गंभीर परेशानियां थीं और उसकी स्थिति को देखते हुए डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए थे. ऐसी स्थिति में एंबूलेंस चालक ने कमाल दिखाते हुए महिला को बचा लिया।
जानकारी के मुताबिक बमोरी के ग्राम परांठ निवासी राजवंती (23) को उसके पति गोलू सहरिया बुधवार दोपहर बमोरी अस्पताल से गुना जिला अस्पताल लेकर आए। यहां डॉक्टर्स ने महिला की सभी जरूरी जांचें की जिसमें हीमोग्लोबिन तथा प्लेटलेट्स बहुत कम आईं। पूरे शरीर पर सूजन थी। महिला बेहोशी की हालत में थी। कुल मिलाकर मरीज की बेहद गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टर ने कम से कम समय में उसे भोपाल ले जाने की सलाह दी। तत्काल 108 नंबर पर कॉल करके एंबुलेंस बुलाई गई।
सुखद बात रही कि इस बार एंबुलेंस की सुविधा भी तत्काल मिल गई। एंबुलेंस के ईएमटी और पायलट ने जब रैफर होने वाले मरीज यानि गर्भवती महिला की हालत देखी तो वे भी पहली बार चिंता में पड़ गए। डॉक्टर का साफ कहना था कि मरीज की हालत बेहद क्रिटीकल है, इसे कम से कम समय में भोपाल पहुंचाना बेहद जरूरी है। सब कुछ जानने के बाद एंबुलेंस स्टाफ कमजोर नहीं पड़ा और उन्होंने इस केस को अपने लिए बड़ी चुनौती मानते हुए महिला को ऑक्सीजन लगाकर एंबुलेंस में शिफ्ट कर दिया। रास्ते में जो जरूरी उपचार था उसे ईएमटी अमित कुमार वर्मा देते गए। वहीं अहम चुनौती मरीज को बेहद कम समय में भोपाल अस्पताल तक पहुंचाने की थी, इसके लिए पायलट भानुप्रताप ने अपने कौशल को दिखाते हुए एंबुलेंस को 90 से 100 किमी की रफ्तार पर चलाकर पूरा कर दिया।
यही नहीं इससे पहले एंबुलेंस के ईएमटी ने भोपाल के अस्पताल को मरीज के संबंध में पूरी जानकारी दे दी थी, ताकि वह मरीज के इलाज के लिए जरूरी इंतजाम पहले ही कर लें तथा आपातकालीन स्टाफ पहले से अलर्ट हो जाए। इस सूचना का फायदा भी मिला और मरीज को तत्काल रिसीव कर लिया गया। महिला के पति गोलू सहरिया ने बताया कि उसकी पत्नी राजवंती की पहली डिलेवरी ऑपरेशन से हुई थी। उस दौरान बच्चा नहीं बच पाया था। इस बार भी उसकी पत्नी की हालत बहुत खराब हो गई है।