मानव के विकास की थ्योरी बताने वाले महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने 200 साल पहले पक्षियों के रंग पर कुछ ऐसी बात कही थी जिसे अब लोगों ने सही मान लिया। क्या है वो बात आईये जानते हैं। दरअसल महान वैज्ञानिक डार्विन ने कहा था कि भूमध्य रेखा के पास वाले पक्षी ज्यादा रंग-बिरंगे होते हैं। जैसे-जैसे हम ध्रुवों की तरफ बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनका रंग फीका या गहरा होने लगता है।
यह थ्योरी सही है कि नहीं, इसकी जांच अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवसिर्टी के वैज्ञानिकों ने की है। स्टेनफोर्ड यूनिवसिर्टी के वैज्ञानिकों ने म्यूजियम में रखे 4,527 प्रजातियों के 24,345 अलग-अलग पक्षियों के नमूनों को स्टडी किया। इसके लिए अलग-अलग स्थिति में उनके फोटो खिंचवाए गए। गहरे अध्ययन के बाद इसमें सामने आया कि भूमध्य रेखा के पास ध्रुवीय क्षेत्रों के मुकाबले 30% ज्यादा रंग-बिरंगे पक्षी पाए जाते हैं।
इससे जैव विविधता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। हालांकि, 19वीं शताब्दी में भी कुछ वैज्ञानिकों ने इस तरह की बात कही थी, लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी। अब तक पक्षियों के आहार संबंधी अंतर के बारे में हमें सिर्फ इतना पता चला था कि भूमध्य रेखा के आसपास के पक्षियों की प्रजातियां रंगीन होती हैं।
रिसर्च के अनुसार मेल पक्षियों के मुकाबले फीमेल पक्षियों में रंगों का यह अंतर ज्यादा स्पष्ट दिखाई दिया। हालांकि, अमेरिका की कुछ प्रजाति जैसे पासेर्निया साइरस व ब्लू, यलो, ग्रीन और रेड नाम वाले पक्षी इसका अपवाद साबित हुए।