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ऐसे हुई विक्रांत भूरिया की ताजपोशी, दिग्गजों का मिला समर्थन

भोपाल। युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर विक्रांत भूरिया निर्वाचित हुए हैं। वो प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पहुंचने वाले पहले आदिवासी नेता हैं। विक्रांत भूरिया कड़े मुकाबले और दिग्गज नेताओं की लॉबिंग के बाद इस पद पर पहुंचे हैं। अब बात करते हैं उनकी ताजपोशी और इस पद तक पहुंचने के लिए मिले समर्थन के संबंध में।

दिग्विजय सिेंह का मिला विंक्रात भूरिया को समर्थन

विक्रांत भूरिया को शुरूआत से ही इस पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन जब कांग्रेसी दिग्गजों के पुत्र चुनाव मैदान में उतरे तो उनकी राह थोड़ी मुश्किल हो गई। उनके सामने संजय सिंह यादव, अजीत बोरासी, विधायक विपिन वानखेड़े जैसे दिग्ग़ज चुनाव मैदान में थे। इसके अलावा कुछ और भी नेता अपनी किस्मत आजमा रहे थे। संजय सिंह यादव वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री लाखन सिंह के भतीजे हैं और लाखनसिंह कमलनाथ के खासमखास रहे हैं। इसलिेए संजयसिंह से विधानसभा टिकट न मिलने पर कमलनाथ ने युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपना समर्थन देने का वादा किया था, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के विक्रांत भूरिया के पक्ष में खुलकर सामने आने से बाजी पलट गई।

विरासत में मिली सियासत

दिग्विजय सिंह कमलनाथ को मनाने में कामयाब हो गए और कमलनाथ ने विक्रांत भूरिया के नाम पर मुहर लगा दी। इस सारे सियासी दांवपेंच में सज्जन वर्मा का रोल भी अहम रहा और उनकी सक्रियता की वजह से विक्रांत भूरिया की राह आसान हो गई। विक्रांत भूरिया की दिक्कतें उस वक्त भी थोड़ी कम हो गई, जब विपिन वानखेड़े ने अध्यक्ष पद से अपना नाम वापस लेते हुए अपना समर्थन एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी को दे दिया। संजय सिंह यादव का समर्थन पूर्व मंत्री जीतू पटवारी कर रहे थे, वहीं एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी को प्रदेश के अन्य बड़े नेताओं का अंदरूनी समर्थन हासिल था।

कांतिलाल भूरिया के हैं पुत्र

विक्रांत भूरिया रसूखदार सियासती खानदान से ताल्लुकात रखते हैं उनके पिता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और आदिवासी इलाकों में उनका काफी वर्चस्व है। विक्रांत भूरिया झाबुआ विधानसभा सीट से भाजपा के जी एस डामोर से पराजित हो चुके थे, लेकिन जब जी एस डामोर इस सीट से सांसद बने तो इस सीट से उनके पिता कांतिलाल भूरिया चुनाव लड़े और उन्होंनें जीत दर्ज की। कांतिलाल भूरिया दिग्विजय सिंह के खेमे के माने जाते हैं और इसका फायदा उनको इस चुनाव में मिला।

अजीत बोरासी हैं प्रेमचंद गु़्ड्डू के बेटे

अब बात करते हैं हम युवक कांग्रेस अध्यक्ष के समर में उतरे बाकी उम्मीदवारों की। अजीत बौरासी इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे और उनको उपाध्यक्ष के पद से संतोष करना पड़ा। अजीत बोरासी वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू के बेटे हैं। गुड्डू ने हाल ही में सांवेर विधानसभा से उपचुनाव लड़ा था, लेकिन भारी मतों से पराजित हुए थे। अजीत बोरासी एक बार आलोट सीट से कांग्रेस से और घटिया सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर हार चुके हैं। दोनों पिता-पुत्र विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन उपचुनाव के पहले फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

विपिन वानखेड़े आगर से विधायक हैं और हाल ही में संपन्न उपचुनाव में उन्होंने दमदार जीत दर्ज कराई है। इसके अलावा विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा, मोना कौरव, पिंकी मुदगल, वंदना वेद और जावेद खान सहित 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

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