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महाकाल में मनाया गया वसंतोत्सव और इस मशहूर उत्सव की हुई शुरूआत

उज्जैन। प्रकृति में सौंदर्य बिखेरने वाली बसंत ऋतु की शुरुआत सोमवार को बसंत पंचमी से हो गई । इसके साथ ही फाग का उल्लास भी प्रारंभ हो गया। वैसे बसंत पंचमी पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन से ही प्रकृति अपना सौंदर्य बिखेरती है,इसलिए पचंमी को उत्साह के साथ ही फाग की उमंग में मनाया जाता है। महाकाल में भी इस अवसर पर वसंतोत्सव का प्रारंभ हुआ।

महाकाल में वसंतोत्सव हुआ प्रारंभ

उज्जैन के महाकाल मंदिर में बसंत पंचमी पर मंगलवार को बाबा महाकाल को पुष्प अर्पित किये तथा गुलाल चढ़ाई गई। महाकाल मंदिर में बसंत पंचमी पर्व से होली की शुरुआत हो जाती है, परंपरा अनुसार बाबा महाकाल के दरबार में हर त्यौहार सबसे पहले मनता है इसलिए यहां बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त में होली का प्रारंभ हो जाता है। पंचमी से बाबा को रोज सुबह – शाम की आरती में पुजारी गुलाल अर्पित करेंगे। भस्मार्ती के बाद श्रदालुओ को प्रवेश दिया गया। आज बड़ी तादाद में श्रदालु बाबा महाकाल के दर्शन हेतु पहुंचे।

ज्ञान की देवी सरस्वती की होती है आराधना

वसंत पंचमी को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की आराधना से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, कला और संगीत का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन विधि-विधान से सरस्वती पूजा करने की परंपरा है। देवी प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराएं और पीले फूल, अक्षत्, दीप, धूप, पीला गुलाल, गंध आदि समर्पित करें। माता को पीले फूलों की माला पहनाएं। पीले फल अर्पित करें। श्रृंगार सामग्री का अर्पण करें। देवी को श्वेत वस्त्र चढ़ाएं। खीर, मालपुआ या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं।अंत में सरस्वती वंदना कर उनके मंत्रों का जाप करें।

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