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उत्तराखंड क्रिकेट टीम में मजहबी एजेंडा चलाने वाले कोच वसीम जाफर का इस्तीफा

नई दिल्ली। अपने ट्वीट से मशहूर होने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट संघ (सीएयू) के सचिव महिम वर्मा और मुख्य चयनकर्ता रिजवान शमशाद से विवाद होने के बाद मंगलवार को मुख्य कोच के पद से इस्तीफा दे दिया। 45 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि लेकर उत्तराखंड की सीनियर टीम के कोच बने जाफर ने महिम पर कई आरोप लगाए हैं, वहीं सचिव महिम ने इसे झूठा बताते हुए वसीम पर पलटवार किया है।

टीम में चलाते थे मजहबी एजेंडा

रिजवान ने भी जाफर के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। पूर्व बीसीसीआइ उपाध्यक्ष महिम ने आरोप लगाया कि जाफर मजहबी गतिविधियों से टीम को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। हमने जाफर का हर बात में पूरा समर्थन किया था और खिलाडि़यों के चयन के लिए कोई दबाव नहीं डाला। वह गेस्ट प्लेयर के लिए इकबाल अब्दुल्ला, समद सल्ला, जय बिस्टा को लेकर आए और कुणाल चंदेला की जगह जबरन इकबाल को कप्तान बनाया। उनके सारे फैसलों को हमने माना लेकिन टीम मुश्ताक अली ट्रॉफी के पांच में से चार मैच टीम हार गई।

नमाज पढ़ने के लिए मौलवी बुलवाते थे

विजय हजारे ट्रॉफी के लिए हमनेम जब सोमवार को टीम घोषित की और चंदेला को कप्तान बनाया तो जाफर ने इस्तीफा भेज दिया। महिम ने कहा कि टीम का सहयोगी स्टाफ ने यह जानकारी दी थी कि वसीम जाफर कैंप के दौरान मौलवी बुलाते थे। कैंप के दौरान आयोजन स्थल पर तीन मौलवी आए थे। वे जुम्मे की नमाज अदा कराने आए हैं। कैंप के दौरान दो बार ऐसा वाकिया हुआ। यही नहीं उत्तराखंड टीम पिछले साल से ही ‘राम भक्त हनुमान की जय’ स्लोगन का इस्तेमाल कर रही थी। मैदान पर मौलवी बुलाने वाले जाफर ने इसको भी बदलवा दिया था।

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