Mradhubhashi
Search
Close this search box.

पर्यूषण पर्व के नौवें दिन उत्तम अकिंचन

बड़वाह। धर्म दिवस पर टीकमगढ़ से पधारे हुए रुपेश शास्त्री ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि आकिंचन्य खाली हो जाना खाली होने से अभिप्राय है कि अंदर बाहर सब तरफ से त्याग करना। “मैं”, “मैंने” और “मेरे” का अंतर्मन से त्याग करना ही उत्तम आकिंचन धर्म है। सरल शब्दों में कहे तो खाली हाथ आये थे, खाली हाथ जाना है। ना यहाँ कुछ आपका है ना मेरा। ये शरीर जला दिया जाना है, राख बन जायेगा, ये सब कमाया हुआ, संगृहीत धन-संपत्ति यहीं रह जाना है।

इस शाश्वत सत्य से परिचित होने पर भी हम क्यों जीवन भर कमाने के पीछे भागते रहते हैं? शरीर, सम्पत्ति, सामग्री और सम्बन्धी ये चारों उत्तम आकिंचन में बाधक हैं। विज्ञान कहता है पानी में वही वस्तु डूबती है जिसमें भार होता है इसीलिए अगर आपको भी मिथ्या विश्वास, क्रोध, अभिमान, छल, लोभ, हँसी, पसंद, नापसंद, विलाप, भय, घृणा, काम वासना से ऊपर उठना है तो सर्व प्रथम अपने मन में आकिंचन्य धर्म का पालन करिए ।

श्री रुपेश शास्त्री जी  के सानिध्य में तथा वैभव भैया जी विधानाचार्य के संहयोग से सर्वप्रथम मूलनायक  1008श्री नेमिनाथ भगवान के प्रथम अभिषेक करने  का सौभाग्य कमलेश कुमार उदयचंद जैन परिवार को तथा शांति धारा करने का सौभाग्य (मुनि श्री 108  मल्लीसागर जी  महाराज के  गृहस्थ जीवन के भ्राता  ) श्रीअजय कुमार आदेश कुमार कुमार जैन परिवार को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात नित्य नियम पूजन अर्चना तथा मंडल विधान की पूजन संगीतमय रुप से संपन्न हुई जिसमें सभी समाज जनों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया जिसमें श्री  अजय आदेश संजय सुधीर सुनील राजेंद्र कुमार जैन अमरीश जैन विपिन जैन जयेश जैन तथा महिला मंडल की सभी सदस्यों ने अपनी सहभागिता निभाई तत्वार्थ सूत्र का वाचन श्रीमती स्वस्तिक जैन कुमारी मोहिनी  जैन  ने किया भैया जी द्वारा तत्वार्थ सूत्र का भावार्थ उद्बोधन स्वरूप द्वारा दिया गया

 रात्रि में श्री जी की आरती हुई

जिसमें श्रेयांश राजेंद्र कुमार जैन विद्यानाचार्य तथा अशोक जैन तथा महिला मंडल द्वारा ने भजनों की प्रस्तुति दी गई। पर्यूषण पर्व के इस अवसर पर वंदना ममता प्रतिभा, प्रियंका आशिकाएम, लब्धि जैन द्वारा उपवास किए जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट