नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद यहां आतंकी हमलों में खासी कमी देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि इस कदम का असर आतंकवादियों के साथ-साथ घुसपैठ की कोशिशों पर भी पड़ा है और इनमें भी गिरावट देखी गई है, जो कि प्रदेश के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है।
गृह राज्य मंत्री ने दी जानकारी
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय उच्च सदन में कहा कि 16 अप्रैल 2017 से चार अगस्त 2019 तक जम्मू कश्मीर में कुल 843 आतंकवादी घटनाएं हुईं। इनमें 86 आम नागरिकों और 78 सुरक्षाकर्मियों की जान गई। उन्होंने कहा कि 370 हटाए जाने के बाद पांच अगस्त 2019 से 22 नवंबर 2021 तक कुल 841 दिनों में जम्मू कश्मीर में कुल 496 आतंकवादी घटनाएं हुईं। इनमें 79 आम नागरिकों और 45 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई। राय ने बताया कि अगस्त 2014 से अगस्त 2019 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों ने 177 आम नागरिकों और 178 सैन्य कर्मियों की जान ले ली थी। अगस्त 2019 के बाद से 21 नवंबर 2021 तक आतंकियों ने 87 आम नागरिकों और 46 जवानों की हत्या कर दी। कुल आंकड़े बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
जैश-ए- मोहम्मद के थे आतंकी
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में बुधवार को 2 आतंकी मारे गए। आईजी कश्मीर विजय कुमार के मुताबिक मारे गए आतंकियों में से एक की पहचान जैश-ए- मोहम्मद के टॉप कमांडर यासिर पारे और पाकिस्तानी आतंकी फुरकान के तौर पर की गई है। इनमें यासिर पारे एक्सप्लोसिव (बम) बनाने में माहिर था। दोनों आतंकियों ने कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया था। सुरक्षाबलों को आतंकियों के पुलवामा के कस्बा यार इलाके में छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और उफढऋ ने सर्च आॅपरेशन शुरू किया और मुठभेड़ में दोनों को ढेर कर दिया। यासिर पारे सीआपीएफ केकाफिले पर हमले की योजना बनाने वाले पाकिस्तानी आतंकी अबू सेफुल्ला उर्फ लंबू का सहयोगी था। 17 जून 2019 को अरिहाल में एक विस्फोटक के जरिए यासिर ने सुरक्षा बलों पर हमले की साजिश रची थी।