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देवकर्म और पितृकर्म दोनों में है तिल का बड़ा महत्व

Dharma: सनातन संस्कृति में पेड़-पौधों, फल-फूल और अनाजों का बड़ा महत्व है। देवी-देवताओं की पूजा में इनको आवश्यक तत्व के रूप में सम्मिलित किया जाता है। सभी देवी-देवताओं को कुछ विशेष फल-फूल और अनाज प्रिय होते हैं और भक्त इनकों देवताओं को समर्पित भी करते हैं। काला तिल एक ऐसा ही अनाज है जो देवताओं को अतिप्रिय है और कई मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।

मकर संक्रांति पर तिल का है बड़ा महत्व

मकर संक्रांति के अवसर पर तिल का बड़ा महत्व है। शनि देव ने पिता सूर्य को काले तिल समर्पित किए थे। इसलिए इस दिन तिल के दान और सेवन से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। भगवान विष्णु को तिल अतिप्रिय है इसलिए उनकी पूजा में तिल चढ़ाने का विधान है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन तिल के अधिकाधिक प्रयोग से भाग्योदय होता है।

षटतिला एकादशी पर तिल के प्रयोग से बढ़ता है सौभाग्य

षटतिला एकादशी को स्नान के जल में काले तिल मिलाकर स्नान करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल को कूटकर उसका उबटन बनाकर शरीर पर लगाने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान कराने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी को काले तिल से भगवान विष्णु के निमित हवन करने से समृद्धि की प्राप्ति होती है और श्रीहरी को तिल-गुड़ के मिष्ठान्न का भोग लगाकर ग्रहण करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। श्रीहरी को काले तिल समर्पित कर उनका किसी निर्धन को दान करने से गरीबी दूर होती है।

मनुस्मृति के अनुसार षटकर्म में काले तिल और लक्ष्मी कर्म में सफेद तिल का उपयोग करने से समृद्धि प्राप्त होती है। मनुस्मृति में तिल को दारिद्रय नाशक और आयुर्वेद में रोग नाशक कहा गया है। सफ़ेद तिल मिश्रित गाय के घी से लक्ष्मी या श्री सूक्त का हवन करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

पुराणों में किया गया है तिल का महिमामंडन

पद्म पुराण में कहा है कि तिल जिस पानी में होता है वह अमृत से भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जता है। पद्म और ब्रह्म पुराण में तिल को औषधि बताया है। बृहन्नारदीय पुराण में कहा गया है कि पितृकर्म में जितने तिलों का प्रयोग किया जाता है उतने ही हजार सालों तक पितर स्वर्ग में निवास करते हैं।
गरुड़ पुराण और बृहन्नारदीय पुराण में कहा गया है कि जिन पूर्वजों की मृत्यु अचानक या किसी दुर्घटना में हुई हो उनके लिए तिल और गंगाजल से तर्पण किया जाए तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। पद्म और वायु पुराण के अनुसार श्राद्ध कर्म में काले तिलों का उपयोग करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण में तिल के दान का बड़ा महत्व बतलाया गया है।

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