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मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें हो रही रिक्त, नए चेहरों को मिल सकता है मौका

भोपाल। मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें 22 अप्रैल को रिक्त होने जा रही हैं जिनके लिए भाजपा और कांग्रेस में चर्चाएं शुरू हो गई है। रिक्त हो रही सीटों में से दो भाजपा और एक कांग्रेस के कब्जे वाली हैं और कमोबेश यही स्थिति चुनाव में भी बनेगी। दोनों ही दलों से नए चेहरों को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है जिनमें भाजपा का मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं जिनमें से आठ सीटें भाजपा और तीन सीटें कांग्रेस के पास हैं। 22 अप्रैल को इनमें से तीन सीटें संपतिया उइके, मुब्बशर जावेद अकबर और विवेक तन्खा का कार्यकाल पूरा हो रहा है और इन्हें भरने के लिए चुनाव की अधिसूचना अगले कुछ दिनों में जारी हो सकती है। रिक्त हो रही सीटों में से दो भाजपा की और एक कांग्रेस के खाते वाली हैं और मौजूदा विधायक संख्या के मुताबिक कमोबेश यही स्थिति चुनाव में भी रहेगी।

चुनाव में ये चेहरे हो सकते हैं प्रत्याशी

सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा की रिक्त हो सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के नए चेहरे हो सकते हैं। भाजपा दो में से एक सीट पर आदिवासी वर्ग के प्रत्याशी को उतार सकती है। हालांकि संपतिया उइके भी उसी वर्ग से आती हैं लेकिन उनके परफार्मेंस को देखकर उन्हें बदला जा सकता है। आदिवासी वर्ग से होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। इस वर्ग के दूसरे नेता की जगह उन्हें दोहराया जा सकता है। भाजपा का एक प्रत्याशी किसी अन्य राज्य के पार्टी नेता को दिया जा सकता है और मुब्बशर जावेद अकबर को दोहराए जाने की संभावनाएं बहुत कम है। भाजपा की एक सीट पर किसी अन्य राज्य के प्रत्याशी का विकल्प इस बार ड्रॉ़प किया जाता है तो फिर पार्टी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय या उमा भारती का नाम भी चर्चा में आ सकता है। उमा भारती ने हाल ही में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है जिससे पार्टी के कई नेताओं की चिंताएं बढ़ी है। ऐसे में उन्हें राज्यसभा भेजने का रास्ता अपनाया जा सकता है।

कांग्रेस में भी चेहरा बदलने की चर्चा

सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा की कांग्रेस की रिक्त हो रही सीट पर अभी विवेक तन्खा हैं जो कि कांग्रेस के जी 23 के एक सदस्य हैं। जी 23 के सदस्य होने की वजह से उन्हें झटका दिया जा सकता है। हालांकि अभी तक उनके बदले जाने के संकेत नहीं हैं लेकिन प्रदेश के दो दिग्गज नेता अजय सिंह और अरुण यादव की दिल्ली में सक्रियता से कयासों का दौर तेज हो गया है। दोनों ने नेता अभी प्रदेश में उपेक्षित नजर आ रहे हैं और ये दोनों ही लगातार कुछ चुनाव हार चुके हैं। इससे अब उन्हें राज्यसभा के रास्ते से दिल्ली बुलाया जा सकता है।

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