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1 हजार साल पूराना है रामगढ़ का यह अदभूत किला

रामगढ़ का किला

बड़वानी. मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित रामगढ़ का किला एक ऐतिहासिक स्थल है। इस किले का निर्माण परमार वंश ने करवाया था। इस किले की खुबसुरती बारिश और ठंड के मौसम में देखने के मिलती है। इसकी ऊचाई से दिखने वाला नजारा काफी खुबसुरत होता है। बारिश के मौसम में यहां के पहाड़ों की खूबसुरती रोमांचित कर देती है। वहीं ठंड के समय पर यहां पूरा पहाड़ धूंध से घिरा रहता है।

1532 फीट ऊंचाई पर बना हुआ है किला

ऊंचे स्थान पर होने के कारण यहां के जंगलों में बादल कुछ इस तरह दिखते हैं, जैसे वो जमीन पर उतर आए हो। संरक्षण के अभाव में किला जीर्ण-शीर्ण हो गया है। यहां खजाना पाने के लालच में लोगों ने कई स्थानों पर खुदाई की थी। ये किला समुद्र तल से 1532 फीट ऊंचाई पर बना हुआ है।

खंडहर अवस्था में तब्दील हुआ किला

यह किला पाटी ब्लॉक की रामगढ़ पंचायत के अंतर्गत आता है। इस किले तक पहुंचने के लिए जंगलों और पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। आप जब इस किले में पहुंचते हैं, तो आपको नीचे देखने पर बादलों और हरियाली का अदभूत नजारा देखने को मिलता है। यह किला अभी देखरेख के अभाव के चलते खंडहर अवस्था में तब्दील हो गया है। जानकारी अनुसार यह किला 8वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। इसके बाद बड़वानी के सिसौदिया शासकों ने इस किले का जिर्णोद्धार करावाया था।

किले में अभी वीरानी छाई

सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित यह किला आज भी लोगों का ध्यान अपनी और खींच लेता है। लेकिन, नजदीक जाकर देखने पर अतीत की भूली बिसरी यादों को बखान करने वाले चंद लोगों के अलावा यहां कोई नहीं मिलता। इस किले में अभी वीरानी छाई है। पहाड़ियों की ऊंचाई पर जब लोग मुश्किल से ऊपर चढ़कर किले तक पहुंचते हैं तो वहां की जर्जर हालत सारी कहानी बयान कर देती है। किले के  अंदर एक पूरानी बावड़ी भी है। जानकारी अनुसार दक्षिण क्षेत्र की ओर से होने वाले हमले से बचाव के लिए इसे बनाया गया था। दक्षिण क्षेत्र के महाराष्ट्र की सीमा से लगे खेतिया व पानसेमल की ओर मैदानी इलाका है। जबकी दक्षिण क्षेत्र के मैदानी इलाके के बाद यह पहला सबसे बड़ा पर्वत है।

बड़वानी से मृदुभाषी के लिए तरुण कुमार गोले की रिपोर्ट

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