भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र जारी है। सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही हंगामेदार रही। दोनों ही दल ओबीसी आरक्षण को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए नज़र आए।
मंगलवार को कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस पक्ष की ओर से ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया गया है, इसलिए इस प्रस्ताव को तत्काल स्वीकार करते हुए चर्चा कराई जाए। जिसे स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चा शुरू की।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव विसंगति पूर्ण हो रहे हैं
स्थगन प्रस्ताव पर सदन में दोनों ही दलों के बीच जोरदार हंगामा हुआ। सदन के बाद पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव विसंगति पूर्ण हो रहे हैं।आज विपक्ष के नेता कमलनाथ द्वारा स्थगन प्रस्ताव लाया गया। उन्होंने कहा कि सदन में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ विधायक गोविंद सिंह और स्वयं ने विसंगति पूर्ण की बात को रखा और सरकार की तरफ से जो जवाब आना चाहिए था वह नहीं आया सरकार लगातार अपनी गलती को छुपाने में लग रही।
भाजपा को अध्यादेश लाकर रोकने की जरूरत क्या थी ?
सदन की कार्रवाई के बाद पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने भी भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया उन्होंने कहा कि जब 2019 में कांग्रेस सरकार की उस समय परिसीमन और रोटेशन फिर से हो यह अध्यादेश लाए थे और इस पर कानून भी बना था। फिर भाजपा को अध्यादेश लाकर रोकने की जरूरत क्या थी। उन्होंने कहा कि 2019 से 21 तक कोई भी कोर्ट नहीं गया इससे बात यह स्पष्ट है कि सब इस निर्णय के पक्ष में थे। लेकिन भाजपा चुनाव नही कराना चाहती थी।
रोटेशन और परिसीमन को निरस्त कर दिया गया था
उधर विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला भाजपा सरकार के उस अध्यादेश के खिलाफ गया था, जिसमें उन्होंने रोटेशन और परिसीमन को निरस्त कर दिया था। हमारी सरकार ने सीमांकन और रोटेशन किया था,जो विधिसम्मत था।