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पुतिन-जिनपिंग की मुलाकात पर टिकी दुनिया की नजरें, क्या रूस-यूक्रेन में जंग रुकवाकर अमेरिका को मात देगा चाइना ?

पुतिन-जिनपिंग की मुलाकात पर टिकी दुनिया की नजरें, क्या रूस-यूक्रेन में जंग रुकवाके अमेरिका को मात देगा चाइना ?

चीन के राष्ट्रपति सोमवार को रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे हैं। यहां उनकी मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी। सोमवार को ये दुनिया की सबसे बड़ी ख़बरों में से एक है। पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। इस मुलाक़ात को रूस-यूक्रेन युद्ध से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यूक्रेन खासतौर से इस बातचीत के निष्कर्ष को लेकर उत्साहित होगा। यूक्रेन को उम्मीद है कि इस मुलाकात से जंग रुकने का कोई फॉर्मूला निकलकर सामने आ सकता है।

रूस-यूक्रेन में जंग रोकना आसान नहीं

चीन ने जिस तरह से दोनों मित्र देश और सालों से आपस में दुश्मन ईरान और सऊदी अरब के बीच दोस्ती कराई। उससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यूक्रेन और रूस की जंग को रोकने के लिए भी चीन कोई फॉर्मूला इस मुलाकात में निकाल सकता है। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में चीन अपना नाम अमेरिका से बड़ा करना चाहता है। वो ये सिद्ध करना चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय समझौते करने में चीन अमेरिका से आगे है। हालांकि जंग का हल निकालना इतना आसान नहीं है, यह एक टेढ़ी खीर साबित हो सकता है, सूत्रों से जानकारी अनुसार जिनपिंग यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की से भी बातचीत कर सकते हैं।

एक तीर से दो निशाने चाहता है चीन

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है ऐसा होने के बावजूद यह पहली बार है कि कोई बड़ा अंतर्राष्ट्रीय नेता पुतिन से मुलाकात करने जा रहा है। इस मुलाकात से चीन अपने सबसे बड़े दुश्मन अमेरिका को कूटनीतिक तौर मात देना चाहता है। ये पहले से ही कहा जा रहा है कि यूक्रेन के पक्ष में जिस तरह से अमेरिका और नाटो खुलेआम मदद कर रहे हैं। उसे टक्कर देने के लिए एक नया गुट आकार ले रहा है। यह गुट और कोई नहीं बल्कि चीन, रूस, उत्तर कोरिया का बनता दिख रहा है। हालांकि चीन ने अभी तक अपने पत्ते साफ़ नहीं किये हैं। अगर रूस-यूक्रेन की जंग में चीन सुलह करवाने में सफल हो जाता है तो ये चीन के लिए एक एक बहुत बड़ी सफलता होगी।

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अमेरिका को पछाड़ना चाहता है चीन

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक रूसी अखबार में पिछले दिनों एक लेख लिखा था। इसमें जिनपिंग ने कहा था कि रूस यात्रा के दौरान 12 सूत्रीय प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। यह सब तब हो रहा है जब जिनपिंग चीन के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। यह दौरा इसलिए भी अहम हो सकता है कि रूस को चीन यह मैसेज देना चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस अलग थलग नहीं पड़ा है, चीन यह सन्देश देने की कोशिश कर रहा है कि हम रूस के साथ हैं।

रूस के समर्थन में खुलकर सामने आया चीन

अब तक जितनी बार भी यूनाइटेड नेशन में में यूक्रेन और रूस की जंग के खिलाफ प्रस्ताव लाए गए हैं, चीन ने हमेशा उससे किनारा ही किया है। यहां तक कि उसने वोटिंग में भी भाग नहीं लिया। लेकिन अब वह खुलकर रूस के साथ खड़ा हो गया है। हाल के दौर में पहली बार किसी बड़े राष्ट्राध्यक्ष ने रूस का दौरा किया है। यह रूस के लिए भी अहम है।

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