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तमिलनाडु सरकार ने लगाया बैन,खून निकलवाकर लोग गिफ्ट कर रहे ब्लड पेंटिंग, आखिर क्यों बढ़ रहा है इसका क्रेज?

तमिलनाडु सरकार ने खून से बनी पेंटिंग पर रोक लगा दी है। इसकी वजह राज्य में ‘ब्लड आर्ट’ के चलन में तेजी को बताया जा रहा है। राज्य सरकार ने सेफ्टी कंसर्न से यह फैसला लिया है। इसे आप इस कहानी से भी समझ सकते हैं…

चेन्नई के 20 साल के गणेशन की गर्लफ्रेंड का पिछले साल 10 दिसंबर को बर्थडे था। गणेशन अपनी गर्लफ्रेंड को कोई यूनीक गिफ्ट देना चाहता था, जिससे उसका प्यार सबसे अलग दिखे। इस दौरान उसके एक दोस्त ने उसे ‘ब्लड आर्ट’ के बारे में बताया। एक ऐसी पेटिंग जिसमें आप अपने खून से अपने किसी भी करीबी की तस्वीर बनवा सकते हैं।

Jordan Eagles: The Artist Who Experiments with Blood | TIME.com

गणेशन को यह आइडिया काफी यूनीक लगा। वो चेन्नई के एक ऐसे ही स्टूडियो में गया। यहां पर गणेशन ने A4 साइज की पेटिंग बनवाने के लिए 5 मिली लीटर खून दिया। तमिलानाडु में गणेशन की तरह ही सैकड़ों मामले आए हैं, जिसमें लोग अपनों के लिए खून से पेंटिंग बनवा रहे हैं। 28 दिसंबर 2022 को तमिलनाडु के हेल्थ मिनिस्टर एमए सुब्रमण्यम चेन्नई में अचानक खून से पेटिंग बनाने वाले एक स्टूडियो में पहुंचते हैं। यहां पर पेंटिंग के लिए रखे गए कई ब्लड की शीशियों और नीडिल्स को देखकर वह हैरान रह जाते हैं। उसी वक्त वो खून से पेटिंग बनाने वाले स्टूडियो पर बैन लगाने का ऐलान कर देते हैं।

Artist uses own blood to paint Duterte masterpiece | ABS-CBN News

मंत्री सुब्रमण्यम ने कहा कि कोई व्यक्ति या संस्था खून से पेंटिंग बनाते पाए जाते हैं तो उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। सुब्रमण्यम ने कहा कि- ‘ब्लड आर्ट दण्डनीय है। ब्लड डोनेशन एक पवित्र कार्य है। ऐसे उद्देश्यों के लिए खून निकालना मंजूर नहीं है। प्यार और स्नेह दिखाने के कई और तरीके हैं। इसमें ब्लड आर्ट को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।’

जांच के दौरान पता चला कि स्टूडियो में ब्लड लेने की प्रक्रिया तय प्रोटोकॉल के अनुसार नहीं होती है। यहां एक ही नीडिल यानी सुई कई लोगों का ब्लड निकालने के लिए यूज होती है। इससे आम लोगों में इंफेक्शन फैलने का खतरा हो सकता है।

An artist whose specialty is blood portraits

‘आमलोगों को नहीं है खून निकालने की अनुमति’
हेल्थ एक्सपर्ट एम वेंकटाचलम के मुताबिक, तमिलनाडु में तेजी से ये ट्रेंड बढ़ रहा है, जो चिंता की बात है। किसी इंसान के शरीर से खून निकालने के लिए केवल लैब टेक्नीशियन, फ्लेबोटोमिस्ट, नर्स या फिजीशियन को ही अनुमति होती है। उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि लोग जोखिम मोल लेकर ऐसे स्टूडियो में अपना खून निकलवा रहे हैं। इससे कई तरह की बीमारी फैलने की संभावना है। जैसे-

हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस सी
HIV

ऐसा इसलिए क्योंकि ये वायरस ब्लड और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से ही दूसरे इंसान के शरीर में प्रवेश करते हैं। 1980 में असम में एक आंदोलन शुरू हुआ। इसका मकसद राज्य के तेल भंडार पर केंद्र सरकार के अधिकार का विरोध करना था। लोगों को कहना था कि असम से तेल दूसरे राज्यों में नहीं जाना चाहिए। इस आंदोलन को मजबूती खून से लिखे एक नारे ने दी थी। दरअसल, 22 साल के एक युवा ने गुवाहाटी की सड़कों पर अपने खून से लिखा था- ‘हम खून देंगे, तेल नहीं।’ बाद में ये नारा आंदोलन में हिस्सा ले रहे लोगों की जुबान पर चढ़ गया था।

Artist Creates a Portrait of Donald Trump Using Menstrual Blood to Protest  His Stances on Women | Widewalls

यह इकलौता उदाहरण नहीं है, जब खून आंदोलन का प्रतीक बना हो। इससे पहले 1841 में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में लाला हुकुम चंद ने खून से पत्र लिखकर दिल्ली के मुगल सम्राट से मदद मांगी थी। लाला हुकुम चंद हरियाणा के हांसी के रहने वाले थे। हालांकि, जल्द ही अंग्रेजों ने दिल्ली पर भी कब्जा कर लिया था। 15 नवंबर 1857 के ये पत्र अंग्रेजों के हाथ लग गया। इसके बाद हुकुम चंद को फांसी के फंदे से लटका दिया गया था। इसी तरह कानूनों का विरोध करने के लिए और सरकार के सामने मजबूती से अपनी मांग उठाने के लिए खून से पत्र लिखे जाते रहे हैं। फरवरी 2022 में भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग के लिए बदायूं के युवाओं ने खून से रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा तो ये मामला खूब हाईलाइट हुआ था।

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