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शनि जयंती पर बन रहे दो विशेष संयोग, जानिए तिथि और पूजा- विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था, इसलिए हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। आइये जानते है इस साल शनि जयंती कब है और यह इस बार कौनसा दुर्लभ योग लेकर आ रही है, जो आपके लिए लाभकारी हो सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव सभी को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वालों पर शनि देव की कृपा बनी रहती है। वैसे तो शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं लेकिन इसके विपरीत बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव दंड देते हैं। शनि की कुदृष्टि के दौरान जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाते हैं। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 30 मई को है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन का काफी महत्व है।

इस बार शनि जयंती के दिन पूजा का शुभ समय प्रातः 11:51 मिनट से दोपहर 12: 46 मिनट तक रहेगा। शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 30 मई को प्रातः 07:13 मिनट से आरंभ होकर मंगलवार, 31 मई को प्रातः 5:25 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्ध योग में आराधना करना आपके लिए बहुत शुभ फलदायी रहेगा। इसके साथ ही 30 मई, गुरुवार को सुबह से लेकर रात 11: 40 मिनट तक सुकर्मा योग भी रहेगा। शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है।

पंडितों के अनुसार शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म और स्नानादि से निवृत होन चाहिए। इसके बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए फिर घर पर ही या मंदिर में जाकर शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला आदि चढ़ाएं। शनिदेव पर काली उड़द की दाल और तिल चढ़ाना बेहद ही शुभ माना जाता है। इसलिए पुष्प और फलों के साथ आप उड़द की दाल और काले तिल भी भगवान शनि की मूर्ति पर अपर्ति करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें। चालीसा के बाद शनिदेव की आरती करें। और विशेषकर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को दान दें और उन्हें भोजन कराएं। इससे शनिदेव अधिकप्रसन्न होते है।

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