नई दिल्ली। बच्चों के यौन शोषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। अपने आदेश में कहा है कि गलत मंशा से शरीर के ऊपरी हिस्से को छूना पॉक्सो एक्ट का मामला बनता है।
बच्चों के यौन शोषण का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे का स्पर्श यौन शोषण नहीं है। इस तरह की दलीलें बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बने पॉक्सो एक्ट का उद्देश ही खत्म कर देगी। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक विवादित फैसले में 12 साल की बच्ची को कमरे में बंद कर वक्ष स्थल दबाने वाले आरोपी पर से पॉक्सो एक्ट की धारा को हटा दिया था।
हाई कोर्ट की नागपुर पीठ का फैसले
हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि बगैर कपड़े उतारे महिला के वक्ष दबाना उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने का मामला है, न कि यौन दुराचार का। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के फैसले को पलटते हुए आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत 3 साल के सश्रम कारावास और जुर्माने की सज़ा दी।
एटॉर्नी जनरल ने दी थी चुनौती
नागपुर पीठ के फैसले को एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि इसका असर देश भर के लंबित पोक्सो एक्ट के लगभग 43 हज़ार मुकदमों पर पड़ेगा। इस फैसले को महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यु यु ललित, एस रविंद्र भाट और बेला त्रिवेदी की बेंच ने यह फैसला दिया है।