अयोध्या: अय़ोध्या में बनने जा रहा श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला का मंदिर कई खूबियों के साख आकार लेने जा रहा है। अब गर्भगृह में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें सूर्य की किरणें रामलला के चरणों को स्पर्श करेगी।
सूर्य की किरणें रामलला को स्पर्श करेंगी
अयोध्या में बन रहे राममंदिर को विशिष्ठ, अदभुत और भव्य बनाने के लिए विशे। तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारियां की जा रही है। रामलला के गर्भगृह को सूर्य की किरणों से रोशन करने की योजना है। इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशिष्ट तकनीक को अपनाने पर विचार किया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि प्रत्येक रामनवमी पर गर्भगृह में सूर्य की किरणें रामलला को स्पर्श करें, इस तरह की योजना बनाई जाएगी।
2023 तक होगा गर्भगृह का निर्माण पूरा
वहीं इस बात की भी को कोशिश की जा रही है कि 2023 तक गर्भगृह का निर्माण पूरा हो जाए और श्रद्धालु गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की गई रामलला की मूर्ति के दर्शन कर सकें। इसके बाद बाकी मंजिलों पर भव्यता और मंदिर विस्तार का काम चलता रहेगा। मंदिर ट्रस्ट के एक पदाधिकारी के मुताबिक मंदिर निर्माण का दूसरा चरण नवंबर के मध्य तक खत्म हो जाएगा। तीन मंजिले मंदिर के लिए 400 फीट लम्बाई तथा 300 फीट चौड़ाई में प्लिंथ का निर्माण किया जा रहा है तथा इस पर 365 फीट लम्बाई और 235 फीट चौड़ाई में 171 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण किया जायेगा।