भोपाल। प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति लागू होते ही विवादों में आ गई है। राजधानी भोपाल समेत व्यापारिक राजधानी इंदौर की अधिकतम शराब दुकानों पर आबकारी विभाग ने बीती शाम को रूटीन प्रक्रिया के तहत चेकिंग करने के नाम पर शराब विक्रय बंद कर दिया था। जिसके विरोध में अब शराब ठेकेदार सड़को पर आ गए हैं। शुक्रवार को राजधानी के शराब ठेकेदारों ने आबकारी विभाग के मंत्री जगदीश देवड़ा के बंगले का घेराव कर बिना किसी कारण के शराब विक्रय बंद करवाने के विरोध में ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध जताया।
राजधानी भोपाल में 90 शराब दुकानों से प्रतिदिन करोड़ों रुपए की शराब का विक्रय होता है जिससे शासन को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है मगर बीती शाम से बंद हुई शराब की बिक्री से 2 दिनों में 5 करोड रुपए से अधिक का राजस्व नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। आबकारी विभाग से जुड़े सूत्र और शराब ठेकेदारों का मानना है कि नई आबकारी नीति के तहत शराब दुकानों के नए टेंडर होना है।
नई नीति के तहत होने वाले टेंडरों में राशि अधिक वसूली जा रही है जिसके चलते शराब ठेकेदार टेंडर लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिसके बाद आबकारी विभाग राजधानी भोपाल समेत व्यापारिक राजधानी इंदौर में शराब व्यापारियों पर रूटीन चेकिंग कर शराब का विक्रय बन्द कर दबाव बनाने में जुटा हुआ है। इधर शराब दुकानों के बंद होने से बीती शाम को भी शहर की अधिकांश शराब दुकानों के बाहर शराब खरीदने वालों की भीड़ लगी रही वहीं कई लोग शराब नहीं मिलने से दुकानों के सामने उत्पात मचाते हुए नजर आए।
राजधानी की सभी शराब दुकानों पर आज ताले लटके हुए हैं जिससे आबकारी विभाग के लिए आज काला दिन साबित हों रहा है। सूत्रों की माने तो शराब दुकानों के बंद होने से राजधानी में लगभग 5 करोड़ की राजस्व का सीधा नुकसान होगा।